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Controversy: अनुपम खेर बोले- ‘शेर के दांत होंगे तो दिखाएगा ही, जरूरत पड़ी तो काट भी सकता है’

Ashoka pillar controversy over lions of ashok stambh read what union urban development minister hardeep singh puri said: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ नए संसद भवन के निर्माण के वक्त से ही लगातार विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने अब भवन के ऊपर स्थापित अशोक स्तंभ के शेरों के मुद्रा और भाव अलग होने का आरोप लगाया है। इन दलों का कहना है कि शांत-सौम्य शेरों की जगह गुस्सैल शेर प्रदर्शित किए गए हैं। उन्होंने इसे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान बताते हुए तत्काल बदलने की मांग की है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राजद नेताओं की ओर से व्यंग्य किया गया कि अशोक काल की मूलकृति की जगह प्रतिकृति में निगल जाने की प्रवृत्ति का भाव है। जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि दोनों कृति एक जैसी हैं और यह भी समझाया कि दोनों में फर्क क्यों दिखाई दे रहा है।

Ashoka Pillar: अनुपम खेर की एंट्री, जारी किया यह वीडियो

अशोक स्तंभ विवाद पर अभिनेता अनुपम खेर की भी एंट्री हो गई है। अनुपम ने ट्विट पर वीडियो जारी किया, साथ ही लिखा, ‘अरे भाई! शेर के दांत होंगे तो दिखाएगा ही! आख़िरकार स्वतंत्र भारत का शेर है। ज़रूरत पड़ी तो काट भी सकता है! जय हिंद! ।’

इससे पहले विपक्ष के सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, यह देखने वाले की आंखों पर निर्भर करता है कि वह क्या देखना चाहता है। सारनाथ की मूलकृति 1.6 मीटर की है जबकि संसद पर लगी कृति 6.5 मीटर की है। अगर इसे सारनाथ के आकार में ही कर दिया जाए तो दोनों बिल्कुल एक जैसे लगेंगे।

अब तक का पूरा घटनाक्रम

एक दिन पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन के ऊपर सामने की ओर अशोक स्तंभ की प्रतिकृति (राष्ट्रीय चिह्न) का अनावरण किया था। पूजा-अर्चना भी की गई थी और विपक्षी दलों ने इस पर सवाल खड़ा किया था। विपक्षी नेताओं ने कहा था कि संसद सरकार की नहीं होती, लिहाजा अनावरण लोकसभा अध्यक्ष को करना चाहिए था। भाजपा की ओर से स्पष्ट किया गया था कि संसद का निर्माण सरकार कर रही है। निर्माण पूरा होने के बाद उसे संसद को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

मंगलवार की सुबह से ही कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल सांसद जवाहर सिरकार व महुआ मोइत्रा, राजद ने ट्वीट कर नया विवाद खड़ा कर दिया। अधीर रंजन ने लिखा, कृपया दोनों कृति में शेरों के चेहरे को देखिए.. यह सारनाथ को प्रदर्शित करता है या फिर गीर के शेर को। इसे देखिए और जरूरत हो तो दुरुस्त कीजिए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, सारनाथ के अशोक स्तंभ पर बने शेरों का चरित्र और प्रकृति को बदलना कुछ और नहीं बल्कि भारत के राष्ट्रीय चिह्न का अपमान है। सारनाथ की मूलकृति से इसके भिन्न होने की फोटो लगाते हुए राजद ने कहा, मूलकृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव और अमृतकाल में बनी कृति के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सब कुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृत्ति का भाव है। हर प्रतीक चिह्न इंसान की आंतरिक सोच को दर्शाता है।

जवाब में हरदीप पुरी ने भी दोनों का फोटो ट्वीट करते हुए समझाया कि यह फर्क क्यूं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों कृति एक जैसी हैं। संसद भवन पर स्थापित अशोक स्तंभ 33 मीटर की ऊंचाई पर है। वहां मूलकृति के आकार की कृति लगाने से कुछ भी नहीं दिखता। लिहाजा बड़ी कृति लगाई गई है। अगर अशोक स्तंभ की मूलकृति को भी नीचे से देखा जाए तो वह उतनी ही सौम्य या गुस्सैल दिख सकती है जिसकी अभी चर्चा हो रही है।

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