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Chhatarpur: मासूम को साहस से मिली जिंदगी, आवाज लगाकर बोला बोरवेल बंद नहीं करना..!

छतरपुर, भास्कर हिंदी न्यूज़/   बोरवेल में 30 फीट पर फंसे पांच वर्षीय मासूम दीपेंद्र यादव को साढ़े सात घंटे की मशक्कत के बाद सकुशल निकाल लिया था। दीपेंद्र अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।  सुबह उसे अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। बोर में फंसकर बाहर आए दीपेंद्र को उसके साहस ने दूसरी जिंदगी दिलाई है। जिला अस्पताल की शिशु गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती मासूम की मां रश्मि यादव ने  बताया कि किस तरह से बेटे ने बोरवेल में फंसकर भी अपना हौसला कम नहीं होने दिया। मां प्रशासन और पुलिस को दुआएं दे रही हैं।

अंदर फंस गया हूं, बंद नहीं करना

जिला अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में अपनी गोद में दीपेंद्र का सिर रखकर बैठी रश्मि यादव ने बताया बुधवार को पति अखिलेश यादव, ससुर रमेश यादव, जेठानी बबीता यादव और जेठ प्रेमनारायण यादव खेत में मूंगफली की बोबनी करने गए थे। साथ में पांच वर्षीय बेटा दीपेंद्र और जेठानी की बेटी बिन्नाू गई थी। परिवार के सभी लोग मूंगफली की बोवनी करने लगे। इस दौरान दीपेंद्र खेलते में सूखे बोरवेल में गिर गया। किसी को इसकी भनक भी नहीं लगी थी। दोपहर में करीब ढाई बजे बोवनी के बाद जब सभी लोग घर के लिए आने लगे तो जेठ बोरवेल को ढकने के लिए आगे बढ़े। इस दौरान दीपेंद्र ने बोरवेल से आवाज लगाई ताऊ बंद नहीं करना, मैं अंदर फंसा हूं। दीपेंद्र की आवाज सुनकर प्रेमनारायण लेटकर बोरवेल में दीपेंद्र को आवाज लगाते हैं। बोरवेल के अंदर से दीपेंद्र ने ताऊ की बात का जवाब दिया। इसके बाद पिता अखिलेश यादव और परिवार के सभी लोग मदद के लिए दौड़ पड़े। गांव के लोग भी मदद के लिए आए। प्रशासन और पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद बचाव कार्य शुरू कर करीब साढ़े सात घंटे में रस्सी से खींचकर दीपेंद्र को सकुशल निकाल लिया गया।

दिल ने दिया अनहोनी का संकेत

रश्मि यादव का कहना है कि परिवार के सभी लोग खेत में मूंगफली की बोवनी के लिए गए तो वे घर में रह गईं थीं। दोपहर में अचानक से घराबहट होने लगी। श्रीमती यादव कहती हैं दिल में कुछ महसूस सा हो रहा था कि दीपेंद्र के साथ कुछ हो गया है। श्रीमती यादव कहती हैं उन्होंने घर में भी दीपेंद्र के बारे में पूछा तो बताया गया कि यहीं-कहीं पर खेल रहा होगा। ऐसे में वे सभी के लिए भोजन लेकर खेत पर पहुंच गईं। खेत पर भी दीपेंद्र नजर नहीं आया तो उसकी तलाश शुरू करवाई। तलाश के बीच ही बोरवेल से दीपेंद्र ने अपने ताऊ को आवाज लगाना शुरू कर दीं।

रात में बिस्किट और जूस, सुबह केले खाए

बोरवेल से निकलने के बाद दीपेंद्र को जिला अस्पताल की शिशु गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करवाने के लिए कलेक्टर संदीप जीआर खुद आए थे। सिविल सर्जन डा. जीएल अहिरवार ने शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मुकेश प्रजापति से दीपेंद्र का चेकअप करवाया। दीपेंद्र को पूरी तरह से स्वस्थ्य पाए जाने पर खाने के लिए बिस्किट दिए गए। आम का जूस पिलाया गया। साथ ही बोतल-इंजेक्शन भी लगाए गए। सुबह दीपेंद्र ने केले और बिस्किट खाए हैं। पलंग पर मां की गोद में लेटा दीपेंद्र अब घर जाने की जिद कर रहा है।

एंबुलेंस खराब हुई तो एसपी की गाड़ी से आए

बोरवेल से निकालने के बाद कलेक्टर संदीप जीआर, एसपी सचिन शर्मा खुद दीपेंद्र को लेकर एंबुलेंस में सवार हुए। साथ में मां रश्मि यादव को बैठाया गया। घटनास्थल से कुछ दूर जाने पर एंबुलेंस खराब हो गई। कीचड़भरे रास्ते से दीपेंद्र को अस्पताल पहुंचाना सबसे पहला लक्ष्‌य था। ऐसे में पीछे आ रही एसपी की गाड़ी में दीपेंद्र को उसकी मां के साथ बैठाया गया। एसपी ने खुद गाड़ी चलाई और साथ में कलेक्टर संदीप जीआर बैठकर आए।

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