Varuthini Ekadashi 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ हिंदू धर्म में हर एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, माता लक्ष्मी समेत भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर महीने में 2 एकादशी पड़ती हैं। इनमें से कुछ एकादशी को बहुत खास माना गया है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी भी इन्हीं में से एक है। इसे वरुथिनी एकादशी कहते हैं। इस बार वरुथिनी एकादशी 26 अप्रैल, मंगलवार यानि की कल है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त नियमपूर्वक एकादशी का व्रत रखते हैं और दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से कष्ट और दुख दूर होते हैं, इसके अतिरिक्त विष्णु कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि 25 अप्रैल दिन सोमवार को देर रात 01 बजकर 36 मिनट पर आरंभ हो रही है। साथ ही यह तिथि 26 अप्रैल दिन मंगलवार को देर रात 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। इसलिए व्रत, पूजा आदि में सूर्योदय के आधार पर तिथि की गणना होती है, इसलिए 26 अप्रैल को वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि होगी। ऐसे में इस दिन ही वरुथिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस दिन का शुभ समय दिन में 11 बजकर 52 मिनट से शुरु हो रहा है, जो दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
प्रात: जल्दी उठ कर स्नान करें। स्नान के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं। भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान करवाएं। भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा करें। भगवान की आरती करें। इस दिन भगवान विष्णु को भोग अवश्य लगाएं। द्वादशी के दिन विधि विधान से व्रत खोलें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर विदा करें।
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
यह व्रत बहुत पुण्यदायी होता है। धार्मिक मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत ब्राह्मण को दान देने, करोड़ो वर्ष तक ध्यान करने और कन्या दान से मिलने वाले फल से भी बढ़कर है। इस व्रत को करने से भगवान मधुसुदन की कृपा होती है। मनुष्य के दुख दूर होते हैं और सौभाग्य में वृद्धि होती है।