Hanuman Janmotsav 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ शनिवार, 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। आज हर व्यक्ति अपने जीवन में सभी भौतिक सुख साधनों की प्राप्ति के लिये भौतिकता की दौड़ मे भागते हुए किसी न किसी समस्या से ग्रस्त है। एवं व्यक्ति उस समस्या से ग्रस्त होकर जीवन में हताशा और निराशा में बंध जाता है। व्यक्ति उस समस्या से अति सरलता एवं सहजता से मुक्ति तो चाहता है पर यह सब कैसे होगा? उस की उचित जानकारी के अभाव में मुक्त हो नहीं पाते और उसे अपने जीवन में आगे गतिशील होने के लिए मार्ग प्राप्त नहीं होता। ऐसे में सभी प्रकार के दुख एवं कष्टों को दूर करने के लिये अचूक और उत्तम उपाय है हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ। जानिये पाठ करने की सही विधि क्या है।
हनुमान चालीसा और बजरंग बाण ही क्यों ?
क्योंकि वर्तमान युग में श्री हनुमानजी शिवजी के एक एसे अवतार है जो अति शीघ्र प्रसन्न होते है जो अपने भक्तों के समस्त दुखों को हरने में समर्थ है। श्री हनुमानजी का नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं क्योंकि इनकी पूजा-अर्चना अति सरल है, इसी कारण श्री हनुमानजी जन साधारण में अत्यंत लोकप्रिय है। इनके मंदिर देश-विदेश सवत्र स्थित हैं। अतः भक्तों को पहुंचने में अत्याधिक कठिनाई भी नहीं आती है। हनुमानजी को प्रसन्न करना अति सरल है हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ के माध्यम से साधारण व्यक्ति भी बिना किसी विशेष पूजा अर्चना से अपनी दैनिक दिनचर्या से थोड़ा समय निकल ले तो उसकी समस्त परेशानियां से मुक्ति मिल जाती है।
हनुमान चालीसा व बजरंग बाण से सबंधित खास बातें
हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के नियमित पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए प्रस्तुत हैं कुछ उपयोगी जानकारी है।
1. नियमित रोज सुमह स्नान आदिसे निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहन कर ही पाठ का प्रारम्भ करें।
2. नियमित पाठ में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है। हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ करते समय धूप-दीप अवश्य लगाये इस्से चमत्कारी एवं शीघ्र प्रभाव प्राप्त होता है।
3. दीप संभव न हो तो केवल 3 अगरबती जलाकर ही पाठ करें।
कुछ विद्वानों के मत से बिना धूप से हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ प्रभाव हिन होता है।
4. यदि संभव हो तो प्रसाद केवल शुद्ध घी का चढ़ाएं अन्यथा ना चढ़ाएं।
5. जहां तक संभव हो हनुमान जी का सिर्फ चित्र (फोटो) रखे। यदि घर में अलग से पूजा घर की व्यवस्था हो तो वास्तुशास्त्र के हिसाब से मूर्ति रखना शुभ होगा नहीं तो हनुमान जी का सिर्फ चित्र (फोटो) रखे।
सरल विधि-विधान से हनुमानजी की पूजा
इस कलयुग में सर्वाधिक देवता के रूप में श्री रामभक्त हनुमानजी की ही पूजा की जाती हैं क्योंकि हनुमानजी को कलयुग का जीवंत अर्थात साक्षात देवता माना गया हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस लिये प्रतिवर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा का पर्व हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।
वैसे तो हनुमानजी की पूजा हेतु अनेको विधि-विधान प्रचलन में हैं पर यहा साधारण व्यक्ति जो संपूर्ण विधि विधान से हनुमानजी का पूजन नहीं कर सकते वह व्यक्ति यदि इस विधि-विधान से पूजन करे तो उन्हें भी पूर्ण फल प्राप्त हो सकता हैं। (साभार)