हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर परशुराम जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 10 मई, शुक्रवार को है। परशुराम भगवान विष्णु के 6ठे अवतार माने जाते हैं। इनका स्वभाव अति क्रोधी था। उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रिय विहिन कर दिया था। परशुराम जयंती पर इनकी पूजा पूजा-पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आगे जानिए भगवान परशुराम की पूजा-विधि, आरती और शुभ मुहूर्त…
परशुराम जयंती 2024 के शुभ मुहूर्त
– सुबह 05:33 से 10:37 तक
– दोपहर 12.18 से 01.59 तक
– शाम 05.21 से 07.02 तक
– रात 09.40 से 10.59 तक
इस विधि से करें भगवान परशुराम की पूजा (Parshuram Jayanti Puja Vidhi)
– वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यानी 10 मई, शुक्रवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
– ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में भगवान परशुराम का चित्र या प्रतिमा घर में किसी साफ स्थान पर एक बाजोट यानी लकड़ी के पटिए के ऊपर स्थापित करें।
– भगवान को तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं। वस्त्र, जनेऊ, नारियल आदि चीजें भी एक-एक करके अर्पित करें।
– पूजा के बाद अपनी इच्छा अनुसार भगवान परशुराम को भोग लगाएं और आरती करें। व्रत करने वाले अनाज न खाएं। ये फलाहार कर सकते हैं।
भगवान परशुराम की आरती
शौर्य तेज बल-बुद्धि धाम की॥
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रह्मसूत्र गल माल विराजे॥
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
जननी प्रिय पितृ आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥