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MP: अधीनस्थ अदालतों में गर्मी में काले कोट से निजात

MP, getting rid of black coat in the subordinate courts of the state: digi desk/BHN/जबलपुर/प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में पैरवी करने वाले वकीलों को ग्रीष्म काल में काले कोट से निजात दे दी गई है। यह राहत ग्रीष्म की तपन को देखते हुए दी गई है। एमपी स्टेट बार कौंसिल के वाइस चेयरमैन आरके सिंह सैनी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बार कौंसिल आफ इंडिया का प्रविधान अधिवक्ताओं को ग्रीष्म कालीन अवधि में काले कोट के प्रयोग के संबंध में शिथिलता प्रदान करता है। इसी नियम के तहत 15 अप्रेल से 15 जुलाई तक की अवधि में नियम को प्रभावशील करते हुए निर्देशित किया जाता है कि प्रदेश के अधिवक्ता हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट को छोड़कर अन्य न्यायालयों में बिना काला कोट पहने पैरवी कर सकेंगे। इस दौरान वकील सफेद शर्ट व काली, सफेद, धारी या ग्रे कलर की पेंट व एडवोकेट बेंड पहनकर वकालत कर सकेंगे।

मंडला किला संरक्षण के लिए कलेक्टर सहित अन्य को अभ्यावेदन दें 

हाई कोर्ट ने गढ़ा गोंडवाना संरक्षक संघ की जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि मंडला किला संरक्षण के सिलसिले में कलेक्टर मंडल, सचिव पुरातत्व विभाग व संभागायुक्त जबलपुर को अभ्यावेदन सौपें। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता गढ़ा गोंडवाना संरक्षक संघ के अध्यक्ष जबलपुर निवासी किशोरी लाल भलावी व कर्मचारी परिसंघ उपाध्यक्ष अजय झारिया व टेकचंद परते की ओर से अधिवक्ता बालकिशन चौधरी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मंडला किला का निर्माण गोंड राजा नरेंद्र शाह ने 1480 में कराया था। उनके पूर्वज मदन शाह ने 1156 में मदन महल किला, जबलपुर का निर्माण कराया था। गोंडवाना काल में इसी तरह के 52 किलों का निर्माण कराया था। 28 सितंबर, 1922 को मंडला किला को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने का गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ था। वह ब्रिटिश काल था। लेकिन आजादी के इतने वर्ष बाद उक्त किले के आसपास अतिक्रमण सिर उठा चुके हैं। इस वजह से ऐतिहासिक धरोहर मिटने की कगार पर पहुंच गई है।

 

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