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Chaitra Navratri: स्कंद षष्टी व्रत कल, संतान के सभी कष्टों को दूर करने के लिए ऐसे करें कार्तिकेय की पूजा

Puja path skanda sashti 2022 date time shubh muhurat puja vidhi and significance lord kartikeya: digi desk/BHN/नई दिल्ली/चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां पार्वती और शिव जी के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। कुमार कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है। इसलिए इस स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस व्रत को संतान षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत ने इस व्रत का काफी अधिक महत्व है। माना जाता है कि स्कंद षष्ठ का व्रत का प्रारंभ चैत्र, अश्विन, कार्तिक की षष्ठी से करना शुभ होता है। जानिए स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त

तिथि- 7 अप्रैल 2022, गुरुवार

षष्ठी तिथि प्रारंभ- 6 अप्रैल शाम 6 बजकर 04 मिनट से शुरू

षष्ठी तिथि समाप्त- 7 अप्रैल शाम 8 बजकर 32 मिनट तक

स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें और भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद पूजा घर में जाकर विधिवत तरीके से पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इसके बाद कार्तिकेय जी की पूजा करें। सबसे पहले थोड़ा सा जल अर्पित करें। इसके बाद पुष्प, माला, फल, मेवा, कलावा, सिंदूर, अक्षत, चंदन आदि लगाएं। फिर अपनी श्रद्धा के अनुसार भोग लगाएं। अंत में दीपक-धूप करके मंत्र का जाप करें और फिर आरती कर लें।

मंत्र

देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।

कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥

स्कंद षष्ठी का महत्व

स्कंद षष्ठी व्रत करने का विशेष महत्व है। इस व्रत को दक्षिण भारत में प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। यहां पर भगवान कार्तिकेय को कुमार, मुरुगन, सुब्रह्मण्यम जैसे कई नामों से जाना जाता है। मान्यता है कि आज के दिन विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही संतान को हर तरह की परेशामी से छुटकारा मिलता है और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।

 

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