Gohari Festival 2020: उज्जैन/ बड़नगर तहसील के ग्राम भीड़ावद में दीपावली के अगले दिन रविवार को अनूठी परंपरा निभाई गई। ग्रामीण इसे गाय गोहरी कहते हैं। परंपरा के तहत मन्नत पूरी होने पर आस्थावान भूमि पर लेटते हैं और ऊनके ऊपर से दर्जनों गायें गुजरती हैं। इस दौरान ग्रामीण ने गौ माता के जयकारे लगाए। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार इस परंपरा को लेकर संशय की स्थिति थी, मगर ग्रामीणों ने कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए रस्म निभाई। रविवार सुबह से ही भीड़ावद में मन्नतधारी आ चुके थे। कोरोना के कारण इस बार इनकी संख्या कम थी। गांव के मंदिर में पूजन के बाद गायों का श्रृंगार किया गया। फिर उन्हें मंदिर ले जाया गया। यहां पूजा-अर्चना हुई। फिर ग्रामीणों ने गोवर्धन और गोमाता के जयकारे लगाए। इसके बाद रस्म की शुरुआत हुई। बड़ी संख्या में मौजूद ग्रामीणों के बीच मन्नतधारी जमीन पर लेटे और देखते ही देखते उनके शरीर के ऊपर से कई गायें और गोवंश दौड़ते हुए निकल गए।
वर्षों से चली आ रही परंपरा
गाय गोहरी पर्व मूलत: आदिवासी परंपरा है, मगर मालवांचल के कुछ गांवों में भी इसे मनाया जाता है। ग्राम भीड़ावद के रहवासी बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है। कभी कोई दुर्घटना अथवा कोई घायल नहीं हुआ। ग्रामीण मानते हैं कि गोवर्धन और गोवंश से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मन्नत पूरी होने के बाद इस आस्थावान इस रस्म में शामिल होते हैं।