Covid-19 Vaccine: newdelhi/ कोरोना महामारी के खिलाफ पूरी दुनिया में जंग जारी है, वहीं भारत समेत कई देश इसका इलाज खोजने की कोशिश में जुटे हैं। कई दवाओं का ट्रायल भी जारी है। कहीं है सकारात्मक संकेत मिले हैं, तो कहीं निराशा हाथ लगी है। इस बीच, अमेरिका और ब्रिटेन में हुए अध्ययन के बाद जारी रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई है कि यदि कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रामक जानकारी और झूठ फैलाया गया तो हो सकता है कि लोग ये टीके लगवाने से इन्कार कर दें। दोनों देशों में 8000 लोगों पर हुए अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट जारी की गई है।
इस अध्ययन में अहम भूमिका निभाने वाले लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर हेइडी लार्सन के अनुसार, टीके तभी काम करते हैं जब लोग उन्हें लगवाते हैं, लेकिन यदि भ्रामक जानकारियां फैलाई जाएंगी तो लोग दूर भागेंगे। यही नहीं, इसका असर कोरोना महामारी पर होने वाले आगे के अध्ययन पर भी पड़ेगा।
यह अध्ययन तब सामने आया है जब इसी हफ्ते कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में अच्छे संकेत मिले हैं। Pfizer Inc ने सोमवार को दावा किया कि इसकी बनाई कोविड-19 वैक्सीन 90% से अधिक प्रभावी है। इस ट्रायल को महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा झूठ
अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया पर कोरोना वैक्सीन के खिलाफ झूठ फैलाया जा रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन में जून और अगस्त के बीच ऐसे तीन तीन हजार लोगों को पता चला तो सोशल मीडिया पर गलत सूचना प्रसारित करने में शामिल थे। सर्वे के दौरान ब्रिटेन के 54% लोगों ने कहा कि वे निश्चितरूप से वैक्सीन लगाएंगे। वहीं अमेरिका में यह आंकड़ा 41.2% रहा, लेकिन जब इन लोगों को इंटरनेट पर चल रही भ्रामक खबरों को पढ़वाया गया तो ब्रिटेन में 6.4 फीसदी लोगों ने और अमेरिका में 2.4 फीसदी लोगों ने टीके लगवाने से इन्कार कर दिया।