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Vasant Panchami: उज्जैन में 5000 वर्षों से पाठशालाओं में नित्य हो रही सरस्वती वंदना

Vasant Panchami 2022: digi desk/BHN/उज्जैन/ महाकालपुरी उज्जैन शिव के साथ सरस्वती की भी उपासना भूमि है। पांच हजार वर्षों से यहां की पाठशालाओं में नित्य सरस्वती वंदना होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी यहां सरस्वत्यैय नम: लिखकर शिक्षा की शुरुआत की थी और आज भी पाठशालाओं में वेदाध्ययन कर रहे बटुक सुबह सरस्वती वंदना के साथ पठनपाठन की शुरुआत करते हैं। गुरुशिष्य परंपरा की संवाहक रही धर्म नगरी में आज भी 40 से अधिक वेद पाठशालाएं हैं। इनमें करीब एक हजार बटुक वेद, व्याकरण, संस्कृत, साहित्य का अध्ययन करते हैं। सांदीपनि आश्रम, रामानुजकोट, बड़े गणेश मंदिर सहित अन्य स्थानों पर गुरुकुल पद्धति से पाठशालाओं का संचालन होता है।

सुबह पांच बजे शुरू होती है बटुकों की दिनचार्य : वेदपाठशाओं में सुबह पांच बजे से बटुकों की दिनचार्य शुरू हो जाती है। इसके बाद विद्यार्थी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। फिर योग की कक्षा शुरू होती है। अल्पाहार के बाद वेद, व्याकरण आदि की कक्षाएं शुरू हो जाती है। दोपहर 12 बजे भोजन के बाद कुछ देर विश्राम के पल रहते हैं। दोपहर 3 बजे से द्वितीय सत्र की कक्षा शुरू होती है। शाम को 5 बजे बटुक अपने कक्ष में आ जाते हैं। शाम 7 बजे संध्या होती है। भोजन के बाद बौद्धिक कार्यक्रम होता है। रात नौ बजे विद्यार्थी सोने चले जाते हैं।

सहज ही पारंगत हो जाते हैं बटुक

चारधाम मंदिर आश्रम की पाठशाला में बटुकों को वेद,व्याकरण, संस्कृत व साहित्य के साथ दुर्गासप्तशती व ज्योतिष का भी ज्ञान कराया जा रहा है। महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंदजी ने बताया कि उनकी पाठशाला से संस्कृत, साहित्य, वेद व ज्योतिष का अध्ययन करने के बाद विद्यार्थी देशभर में धर्म क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। यहां माता सरस्वती की कृपा से विद्यार्थी सहज ही वेद में पारंगत हो जाते हैं।

 

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