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Republic Day: रंग-बिरंगी रोशनी में डूबे नार्थ और साउथ ब्लाक, राष्ट्रपति भवन के बाहर ड्रोन फोर्मेशन से बनी आकर्षक आकृतियां

Republic day 2022 drone formations at vijay chowk in new delhi: digi desk/BHN/नई दिल्‍ली/ बुधवार को पूरे देश में 73वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में आयोजित परेड के दौरान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए 75 विमानों का भव्य फ्लाइपास्ट आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। परेड के दौरान राजपथ पर देश की सैन्य ताकत और जीवंत सांस्कृतिक विरासत का भव्‍य प्रदर्शन हुआ। वहीं शाम को नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और राष्ट्रपति भवन को रंग-बिरंगी रोशनी में डूबे नजर आए। राष्ट्रपति भवन के बाहर ड्रोन फोर्मेशन की मदद से अलग-अलग आकृतियां बनाई गईं।

देश की पहली महिला ने भी लिया हिस्‍सा

गणतंत्र दिवस के अवसर पर बुधवार को राजपथ पर परेड में प्रदर्शित वायुसेना की झांकी में देश की पहली महिला राफेल लड़ाकू विमान पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह ने भी भाग लिया। वह वायुसेना की झांकी का हिस्सा बनने वाली दूसरी महिला लड़ाकू विमान पायलट हैं। पिछले साल फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ वायुसेना की झांकी का हिस्सा बनने वाली देश की पहली महिला लड़ाकू विमान पायलट थीं। वाराणसी से ताल्लुक रखने वाली शिवांगी सिंह 2017 में वायुसेना में शामिल हुई थीं।

लद्दाख से कन्‍याकुमारी तक बिखरे गणतंत्र के रंग

गणतंत्र दिवस के मौके पर लद्दाख से लेकर कन्‍याकुमारी तक रंग-बिरंगी झांकियां निकाली गईं। लद्दाख के लेह के पोलो ग्राउंड में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान स्थानीय लोगों ने पारंपरिक नृत्य किया। लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने इस मौके पर कहा कि इन वर्षों में भारत ने बहुत कुछ हासिल किया है। हमारे संविधान ने हमें न केवल मौलिक अधिकार दिए बल्कि मौलिक कर्तव्य भी दिए जिनका हमें पालन करना चाहिए।

आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के इस गणतंत्र दिवस पर एक ओर 1971 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त देने में धूम मचाने वाले सैन्य हथियारों व साजो-समान की झलक ने नई पीढ़ी को गौरव का गर्मजोशी से अहसास कराया। दूसरी ओर अत्याधुनिक राफेल जेट के साथ सुखोई, जगुआर और मिग सरीखे 75 सैन्य विमानों के अविस्मरणीय करतबों ने परेड देख रहे हर खास-ओ-आम को राष्ट्र भावना के जोश से भर दिया।

सैन्य ताकत के इजहार के इन सुनहरे पलों के साथ ही राजपथ देश की समृद्ध एवं विविध संस्कृति और इतिहास की मोहक झांकियों के अनूठे रंगों का भी गवाह बना। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की चुनौतियों के चलते गणतंत्र दिवस समारोह में इस बार दर्शकों की संख्या भले ही काफी कम रही, मगर परेड के दौरान देश की शौर्य गाथा के दीदार में उत्साह और रोमांच कहीं भी कम नजर नहीं आया।

राजपथ पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के पहुंचते ही तिरंगा लहराकर सबसे पहले राष्ट्रगान हुआ और 21 तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद श्रीनगर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए जम्मू-कश्मीर के एएसआइ बाबूराम को मरणोपरांत राष्ट्रपति ने शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र प्रदान किया। वायुसेना और सेना के हेलीकाप्टरों ने राजपथ पर गुलाब की पंखुडि़यां बिखरते हुए गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत की।

सबसे पहले परमवीर चक्र और अशोक चक्र विजेताओं ने सलामी दी। इसके बाद परेड का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्र ने तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति को सेल्यूट किया।

मार्च पास्ट की शुरुआत सेना की 61वीं अश्वारोही बटालियन से हुई जो इस समय दुनिया की इकलौती सक्रिय अश्वारोही बटालियन है। फिर 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए पाकिस्तान से हुए युद्ध में भारत की पराक्रमी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले हथियारों पीटी-76 टैंक, सेंचुरियन टैंक, 75/24 पैक होवित्जर, टोपाज सैन्य वाहनों की झलक देखकर दर्शक काफी उत्साहित दिखे। इस जंग में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने वाले डोर्नियर और डकोटा विमान भी फ्लाई पास्ट में हिस्सा लेने वाले 75 विमानों में शामिल थे।

PM ने पहनी उत्तराखंड की टोपी और मणिपुरी गमछा

गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। राष्ट्रीय पर्व के मौके पर अमूमन सिर पर साफा बांधने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार उत्तराखंड की परंपरागत टोपी पहन रखी थी जिस पर वहां का राजकीय फूल ब्रह्मकमल बना हुआ था, गले में वह मणिपुरी गमछा डाले हुए थे।

स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, आटो रिक्शा चालक और मजदूरों बने खास दर्शक

कोरोना महामारी के कारण लगातार दूसरे साल गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई विदेशी मेहमान नहीं था। मगर अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, आटो रिक्शा चालक और मजदूरों खास दर्शकों के रूप में आमंत्रित किए गए थे।

सैन्य वर्दी में बदलाव को किया रेखांकित

1971 की जंग में जीत के 50 साल पूरा होने के स्वर्णिम विजय पर्व वर्ष की विरासत की झलक दिखाने के बाद सेना की अलग-अलग रेजिमेंट ने 1950 से लेकर अब तक हर दशक में सैन्य वर्दी और हथियारों में हुए बदलाव को रेखांकित किया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की महिला और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के पुरुष मोटरसाइकिल सवारों की टीम के हैरतअंगेज और जोखिम भरे करतबों ने जबरदस्त रोमांच और उत्साह का माहौल पैदा किया।

फ्लाई पास्ट देखकर विशिष्ट मेहमान भी हुए रोमांचित 

राजपथ पर गौरव और रोमांच का चरम परेड के आखिर में वायुसेना के 75 विमानों के आकाश में अलग-अलग फारमेशन और करतबों में नजर आया। 17 जगुआर विमानों ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष को आकाश में 75 की आकृति का रूप देते हुए अद्भुत नजारा पेश किया। पांच राफेल विमानों की विनाश फारमेशन दुश्मन को आगाह करने का संदेश दे रही थी।

पांच एएलएच हेलीकाप्टरोंकी तिरंगा फारमेशन और राफेल के साथ सुखोई, जगुआर के अलग-अलग कई फारमेशन अविस्मरणीय रहे। गणतंत्र दिवस परेड के दौरान अब तब के सबसे अधिक 75 विमानों के इस फ्लाईपास्ट के दौरान आम ही नहीं, कई विशिष्ट मेहमान भी रोमांच को काबू में नहीं रख पाए। वे अपनी सीटों से खड़े होकर इन विमानों को तब तक निहारते रहे जब तक की वे ओझल नहीं हो गए।

राज्यों की झांकियों ने किया सामूहिक समृद्धि का यशगान

सैन्य परेड के बाद राज्यों की झांकियों ने अपने-अपने प्रदेशों के इतिहास, विरासत, संस्कृति और विकास की अलग-अलग कहानियों से भारतीय गणतंत्र की सामूहिक समृद्धि का यशगान किया।

महाराष्ट्र की जैव विविधता संरक्षण की मनमोहक झांकी, काशी कारीडोर से संवरी वाराणसी की झलक दिखाती उत्तर प्रदेश की झांकी, शहीदों के बलिदान को समर्पित पंजाब और हेमकुंड साहिब का चित्रण करती उत्तराखंड की झांकी हो या फिर कर्नाटक की सनातन संस्कृति से जुड़ी झांकी सभी ने सामूहिक विरासत के गौरव का अहसास कराया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान ही देशभर से आए 480 कलाकारों ने गीत-संगीत और नृत्य की लहरियों के समागम से सबका मन मोहा।

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