Parliament Winter Session: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ विपक्ष के हंगामे के बीच चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 राज्य सभा में भी पास हो गया है। लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। कानून और न्याय मंत्री किरन रिजिजू ने राज्यसभा में ‘चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021’ को चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया। इस विधेयक में आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़ने का प्रावधान है। हालांकि विपक्ष इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहा है। AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार के पास ऐसे कानून बनाने की विधायी क्षमता नहीं है। आधार में वोटर लिस्ट से 1.5 फीसदी ज्यादा गलतियां हैं। साथ ही यह कानून सार्वभौमिक मताधिकार के खिलाफ है।
इस विधेयक के विरोध में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने गुस्से में आकर संसद की रूल बुक को सेक्रेटरी जनरल पर फेंक दिया और सदन से वॉकआउट कर गए। उनके इस दुर्व्यवहार की वजह से उन्हें इस सेशन के बाकी दिनों के लिए राज्य सभा से सस्पेंड कर दिया गया है।
बिल के कानून बनने से क्या होगा
संसद में मंगलवार को पारित इस बिल का नाम इलेक्शन लॉज (अमेंडमेंट) बिल, 2021 है। इस बिल में आधार संख्या को वोटर लिस्ट या वोटर आईडी के साथ जोड़ने का प्रावधान किया गया है। सरकार का कहना है कि इससे किसी के दूसरे के नाम पर वोट देने का फर्जीवाड़ा रुकेगा। बिल में इसे एच्छिक रखा गया है। वोटिंग अधिकारी वोटर से पूछेगा कि उसके आधार को वोटर रोल या आईडी से जोड़ना है या नहीं। वोटर के कहने पर ही आधार को जोड़ने या नहीं जोड़ने पर फैसला किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से ई-वोटिंग का रास्ता साफ होगा। इसके बाद जिस तरह अभी लोग राशन लेने के लिए फिंगरप्रिंट स्कैनर पर उंगली दबाते हैं, उसी तरह आगे चलकर वोटिंग मशीन में भी फिंगरप्रिंट स्कैन के जरिए वोट डाले जा सकेंगे।
क्या होगा फायदा?
- विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर आधार को वोटिंग के लिए अनिवार्य बना दिया जाए तो वोटर आईडी कार्ड की जरूरत ही खत्म हो जाएगी।
- अभी वोटर को वोटिंग परची के साथ आधार भी दिखाना होता है। फिर पोलिंग अधिकारी परची पर नाम और फोटो को आधार के नाम और फोटो से मैच करता है। लेकिन इस व्यवस्था में देर होती है।
- अगर ई-वोटिंग शुरु हो गई तो फिंगरप्रिंट स्कैनर से वोटर का वेरिफिकेशन होगा तो वोटिंग की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
- स्कैनर पर वोटर उंगली रखेगा, जिसका मिलान आधार नंबर के साथ किया जाएगा। अगर स्कैनर वोटर को सही पाता है तो वह वोट दे पाएगा।
- इससे वोटिंग प्रोसेस में पारदर्शिता आएगी और बोगस वोटिंग से बचा जा सकेगा।
- आधार से मतदान पर वोटिंग की इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग और काउंटिंग भी तेज होगी।
- इससे मतगणना में ना तो समय ज्यादा लगेगा, ना गलती की गुंजाइश रहेगी और ना ही ज्यादा मैनपावर की जरुरत पड़ेगी।