कटनी,भास्कर हिंदी न्यूज़/ वन अमला मां से बच्चों का मिलन नहीं करवा पा पाया। नन्हें बाघ शावक मां से बिछड़ गए। उन्हें मुकुंदपुर सफारी शिप्ट करवा दिया गया। यहां पर अब बाघ की देखरेख की जाएगी लेकिन अब बाघ शावक अभी जंगल में नहीं रह पाएंगे।
बांधवगढ़ से आए डॉ नितिन गुप्ता की देखरेख में बाघ शावकों को मुंकुंद पुर भेजा गया। वन अमले से मिली जानकारी के मुताबिक बहुत ज्यादा ठंड पड़ रही थी इसलिए इस मौसम में उनकी देखरेख मुश्किल हो रही थी। इस कारण यह फैसला लेना पड़ा।
बाघिन भूली अपने बच्चों को : विजयराघवगढ़ वन परिक्षेत्र में बाघिन अपने एक शावक के साथ घूम रही थी लेकिन आज भी वह बच्चों से दूर री। वन विभाग इंतजार करता रहा कि वह कोई शिकार करे और कुछ देर रुके तो शायद उसे अपने शावकों का ख्याल आए लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बाघिन को रोकने जतन में लगा वन अमला : वहीं बाघिन को रोकने वन अमला तरह-तरह के जतन में लगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बाघिन को लुभाने वन विभाग द्वारा पाड़ा भी बांधा गया लेकिन बाघिन वहां नहीं पहुंची। लाख जतन के बाद भी बाघिन नहीं आई।
12 दिसंबर से मां का इंतजार करते रहे शावक
वहीं विगत 5 दिनों से छोटे बाघशावक मां के इंतजार में हैं लेकिन बाघिन उनतक नहीं पहुंची है। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व की ओर से बरही वनपरिक्षेत्र के झिरिया गांव में 12 दिसंबर को दो बाघ शावक दिखाई दिए थे। इससे क्षेत्र में हलचल मच गई। झिरिया गांव निवासी रामनरेश साहू के घर के पास बनी बाड़ी में बाघ के दो शावकों के आने की जानकारी मिलने पर वन विभाग की टीम वहां पर पहुंची थी।