Sankashti chaturthi 2021 the last sankashti chaturthi of the year will be celebrated tomorrow in indra yoga: digi desk/BHN/ग्वालियर/हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी का पूजन महत्वपूर्ण माना गया है। संकष्टी का संस्कृत अर्थ संकटहरण या बाधाओं से मुक्ति है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि वर्ष 2021 की आखिरी संकष्टी चतुर्थी 22 दिसंबर बुधवार को पड़ रही है, जो कि भक्तों के लिए बेहद ही शुभकारी होने वाली है। बुधवार का दिन गणेश भगवान को समर्पित होता है। इस दिन संकष्टी चतुर्थी होने के कारण यह दिन अधिक फलदायी होगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी गणेश जी को समर्पित है और इस दिन विधि-विधान से उनका पूजन करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं। गणेश बुद्धि और चातुर्य के देवता माने गए हैं। उनकी उपासना से बुद्धि अत्यंत तीव्र होती है तथा विद्या की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाना चाहिए।
Sankashti Chaturthi: इंद्र योग में बुधवार को मनाई जाएगी साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी, जानिए पूजा विधि
संकष्टी पूजा मुहूर्त
साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत इंद्र योग में रखा जाएगा। इंद्र योग दोपहर 12.04 बजे तक रहेगा। चतुर्थी तिथि 22 दिसंबर दिन बुधवार को शाम को 04:52 बजे से शुरु होगी। तिथि का समापन 23 दिसंबर गुरुवार को शाम 06:27 पर होगा। चंद्रोदय 22 दिसंबर को होगा, और इसी दिन इस पूजा को किया जाएगा। इस दिन आप सुबह से लेकर दोपहर 12 बजे के मध्य तक भगवान श्रीगणेश की पूजा कर सकते हैं।
पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर ईशान कोण में चौकी स्थापित कर उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। पूजा में गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित कर ॐ ‘गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद केले के पत्ते पर रोली से चौक बनाएं। चौक के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें। पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।