Farmers will decide the strategy ahead today: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद भी किसान संगठन विरोध प्रदर्शन खत्म करने को राजी नहीं हैं। आगे की रणनीति के लिए संयुक्त किसान मोर्चा रविवार को बैठक करेगा। इससे पहले शनिवार को किसान नेता गुरनाम सिंह चाडुनी ने कहा, हम एमएसपी, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले और मृतक किसान परिजनों के मुआवजे पर चर्चा करेंगे। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार संसद में तीनों कानूनों को रद्द करने की व्यवस्था नहीं करती है, तब तक वे धरना देते रहेंगे। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश सिंह टिकैत ने भी यही बात कही। टिकैत के मुताबिक, केवल ऐलान पर कैसे उठ जाएं? सरकार संसद में कानून रद्द करें। साथ ही MSP जैसे अन्य मुद्दों पर बात करें। अच्छा माहौल बनेगा तो हम बात भी करेंगे।
कौन से कानून होंगे वापस
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020- इससे किसानों को अपनी उपज के लिए वृहद बाजार मिलता। वह कहीं भी फसल बेच सकते।
- कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020- इस कानून के तहत किसान निजी क्षेत्र के साथ करार कर अपनी आय बढ़ाने का उपक्रम कर सकते।
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020- इसके अंतर्गत कृषि के कई उत्पादों को जमा करने की सीमा हटा दी गई थी।
कैसे वापस होंगे कानून
कानून वापसी के संशोधन के लिए कृषि मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा। -इसके बाद कृषि मंत्री संसद में इस आशय का बिल पेश करेंगे। बिल पर बहस और वोटिंग होगी।
इस तरह आज होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक पर सभी की नजर है। वहीं कृषि कानून वापस हो गए हैं, लेकिन राजनीति जारी है। शिवसेना ने जहां पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए सरकार पर निशाना साधा है, वहीं कांग्रेस आज किसान विजय दिवस मना रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं से अपने अपने शहरों में कैंडल मार्च निकालने के आदेश दिए गए हैं।
जानिए क्या है कांग्रेस की रणनीति
मोदी सरकार द्वारा तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा के बाद कांग्रेस ने शनिवार को ‘किसान विजय दिवस’ मनाने के साथ-साथ पूरे देश में ‘विजय रैली’ आयोजित करने का फैसला किया है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के रोलबैक के बाद, कृषि कानूनों को निरस्त करना केंद्र सरकार का दूसरा बड़ा फैसला है, जो आम जनता के बड़े विरोध के बाद लिया गया है। अब कांग्रेस इसे भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।