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पेटीएम के नतीजों से निराश होने की कतई जरूरत नहीं !

 

      सीए सिंघई संजय जैन
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार एवं वरिष्ठ विश्लेषक हैं)

2150 रुपये की इशू प्राइस वाले पेटीएम के आईपीओ में जिन निवेशकों को एलॉटमेंट मिला वे इसकी 1950 रुपये पर लिस्टिंग से तो सकते में आ ही गए थे मगर शाम ढलते-ढलते जब उसकी कीमत 1560 रुपये रह गई तो लाखों खुदरा निवेशकों की सांस अटकने लगी है। हाल ही में ज़ोमेटो के 76 रुपये के आईपीओ के शेयर की ताज़ा कीमत 154 रुपये से लेकर हैप्पीएस्ट माइन्ड के 166 रुपये के आईपीओ के शेयर की ताज़ा कीमत 1264 रुपये तक की कमाई से एकदम उत्साह में आकर खुदरा निवेशकों में पेटीएम में निवेश की होड़ सी लग गई थी। पेटीएम ने पिछले तीन सालों में ही लगातार घाटा उठाते हुए लगभग 8883 करोड़ रुपये का घाटे का पहाड़ खड़ा कर लिया है और इसके व्यवसाय में यह कोई एकाधिकार भी नहीं रखता है यह जानते हुए भी निवेशकों ने 18300 करोड़ के लक्ष्य से लगभग पौने दो गुना सबस्क्राइब किया परंतु लिस्टिंग वाले दिन ही शेयर लोअर सर्किट का शिकार हुआ और निवेशकों को एक दिन में ही 35000 करोड़ रुपये का दचका लग गया।

तो क्या इससे यह सबक मिलता है कि अब नए जमाने के नए उद्यमों में पैसा नहीं लगाना चाहिए अथवा खुदरा निवेशकों को आईपीओ के चक्कर से दूर रहना चाहिए ? उत्तर है – कतई नहीं ! इससे उलट अब इक्कीसवीं सदी में समय इन्हीं नए व्यावसायिक विकल्पों का है। यह बात भी तय है कि इस प्रकार के उद्यमों के आरंभिक 8 वर्ष बहुत उतार-चढ़ाव वाले होते हैं और इन वर्षों में लाभ की उम्मीद बहुत मद्धम होती है किन्तु जब ये अपने जलाल पर आते हैं तो फिर निवेशकों की बल्ले-बल्ले हो जाती है।

आप याद कीजिए कंप्यूटरीकरण के युग के आरंभ के निवेशों को – आज क्या आप उन्हें खरीदने की हिम्मत जुटा सकते हैं ? मगर इनके आरंभ में इन्हें भी इसी प्रकार के उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा था। पेटीएम के आँकड़े साफ बतला रहे थे कि यह आईपीओ उसके पुराने घाटे को फंडिंग देगा ताकि वह आगे अपने काम में गति ला सके मगर वह अभी जल्दी लाभांश देने की स्थिति में तो नहीं आ सकेगा यह भी साफ था। किन्तु उसके बाद भी उसका मूल्यांकन बहुत ऊंचा किया गया और उसके प्रमोटर्स अब भी यह मान रहे थे कि इश्यू प्राइस कम है। इस बात को समझे बिना यदि पैसा लगया गया है तो फिर हाल की गिरावट से घबराए बिना निवेशकों को इंतज़ार करना चाहिए।

यही नहीं हाल ही में आए नाइका, पीबी फिनटेक, सोनाबीडब्लू सहित ऊपर उल्लिखित शेयरों के आईपीओ के निवेशकों ने जबरदस्त चांदी काटी है। यही वह मजेदार दोराहा है जहां एक ओर शेयर बाजार का बारहमासी खतरा है तो दूसरी ओर बहुत कम समय में पैसा दुगना करने का अवसर – उधर बैंक के ब्याज की दरों में धड़ाधड़ गिरावट ने निवेशकों की बचत को अनुपयोगी सा बना दिया है ! तो एक आम निवेशक करे तो करे क्या ? उत्तर है – फूँक फूँक कर सावधानी से निवेश करे और अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में रखने से बचे ! शेयर बाजार आज भी निवेश का सबसे शानदार विकल्प है। यदि आप अपने निवेश योग्य फंड का 50 फीसदी भी इस क्षेत्र में लगाते हैं तो मात्र 10 वर्ष की अवधि में आपका सकल निवेश कम से कम तीन गुना हो जाएगा यह पक्का है।

मगर इसके लिए आपको सबसे पहली बात यह करना है कि ईज़ी मनी अर्थात रातों-रात दोगुने के मोह से बचना होगा और निवेश को सट्टा न समझ कर एक सतत प्रक्रिया बनाना होगा। दूसरे किसी और की सलाह, खास-तौर पर यदि वह मुफ़्त मिली है, की बजाए थोड़ा श्रम करके इंटरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेने की प्रवृत्ति बनानी होगी। भारत एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है इसलिए अभी ऐसे ढेरों अवसर और आने वाले हैं जब एक छोटा निवेशक अपनी हैसियत भर निवेश से इस बहती गंगा से अपने बर्तन के मुताबिक पानी बटोर सकेगा। आप एसआईपी अथवा नियोजित निवेश प्लान के माध्यम से नियमित रूप से शेयर बाजार में निवेश कीजिए और गाहे-बगाहे आईपीओ में भी थोड़ा पैसा डालिए किन्तु उसके बाद अखबार में उसकी कीमत रोज देख कर अपना रक्तचाप मत बढ़ाइए। इस पैसे को जमीन में गड़ी गुल्लक जानिए और कम-से-कम बारह बरस इंतज़ार कीजिए क्योंकि कहते हैं न कि बारह बरस में तो घूरे के भी दिन फिर जाते हैं। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स 2001 में 3262 से 2021 में 59636 तक पहुँच गया है मतलब धीरज धारी हमेशा सुखी रहा है।

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