lakhimpur kheri violence case supreme court also reconstitutes SIT: digi desk/BHN/लखनऊ/ लखीमपुर खीरी हिंसा केस में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन को जांच की निगरानी, निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है। इसके साथ ही विशेष जांच दल (एसआइटी) का पुनर्गठन भी किया। इसमें तीन वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी एसबी शिरडकर, प्रितिंदर सिंह और पद्मजा चौहान को शामिल किया है। ये अधिकारी उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी हैं, लेकिन मूल रूप से इस राज्य के नहीं हैं। आइये जानते हैं कौन ये आइपीएस अधिकारी और कहां हैं तैनात…
आइपीएस अधिकारी एसबी शिरडकर
आइपीएस अधिकारी एसबी शिरडकर माहाराष्ट्र के मूल निवासी हैं। वह उत्तर प्रदेश कैडर के वर्ष 1993 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। इस समय वह अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) इंटेलिजेंस पद पर तैनात हैं।
आइपीएस अधिकारी प्रितिंदर सिंह
आइपीएस अधिकारी प्रितिंदर सिंह मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं। वह उत्तर प्रदेश कैडर के वर्ष 2004 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। इस समय वह पुलिस उपमहनिरिक्षक (डीआइजी) सहारनपुर पद पर तैनात हैं।
आइपीएस अधिकारी पद्मजा चौहान
आइपीएस अधिकारी पद्मजा चौहान मूल रूप से हैदराबाद की रहने वाली हैं। वह उत्तर प्रदेश कैडर की वर्ष 1998 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। इस समय वह उत्तर प्रदेश पुलिस प्रोन्नति एवं भर्ती बोर्ड में पुलिस महानिरिक्षक (आइजी) पद पर तैनात हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गत तीन अक्टूबर को चार प्रदर्शनकारी किसानों को कार से कुचल दिया गया था। इसके बाद उग्र भीड़ ने कार पर सवार ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस हिंसा में एक पत्रकार भी मारा गया था। कुल आठ लोगों की मृत्यु हुई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा मुख्य अभियुक्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों की ओर से भेजे गए पत्रों पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई शुरू की थी। मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जांच कर रही एसआइटी में शामिल अधिकारियों में वरिष्ठों को शामिल करने की बात की। पीठ ने कहा कि एसआइटी में ज्यादातर स्थानीय इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी हैं। राज्य सरकार को एसआइटी में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करना चाहिए। सीधी भर्ती के आइपीएस अधिकारी को शामिल करना चाहिए। ऐसा आइपीएस अधिकारी जो यूपी कैडर का तो हो, लेकिन राज्य का निवासी न हो।