Amla Navami 2021:/नई दिल्ली/ दिवाली के बाद आवंला नवमी का पर्व मनाया जाता है। शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आवंला नवमी पड़ती है। इस दिन आवंले के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने के बाद अन्न ग्रहण किया जाता है। इस दिवस आंवले को प्रसाद के रूप में खाने का भी महत्व है। इस साल आंवला नवमी 12 नवंबर, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन किया गया कार्य शुभ फल देता है। इसे अक्षय नवमी भी कहते है।
भगवान श्रीकृष्ण से नाता
मान्यताओं के अनुसार इस दिन से द्वापर युग का आरंभ हुआ था। द्वापर में भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। वहीं भगवान कृष्ण आंवला नवमी के दिन वृंदावन गोकुल को छोड़कर मथुरा के लिए रवाना हुए थे। इस कारण आंवला नवमी के दिन वृंदावन परिक्रमा की शुरुआत होती है।
आंवला नवमी पूजा विधि
अक्षय नवमी के दिन आंवला पेड़ की पूजा कर जल और कच्चा दूध अर्पित किया जाता है। फिर वृक्ष की 7 परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली लपेटी जाती है। पूजा के बाद पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करें।
आंवला नवमी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक सेठ ब्राह्माणों को आदर सतकार देता है। उसके बेटों को ये सब पसंद नहीं था। इसके लिए अपने पिता से झगड़ा भी करते है। ऐसे में घर में होने वाली क्लेश से तंग आकर सेठ ने घर छोड़ दिया। वह दूसरे स्थान में रहने लगा। उसने वहां एक दुकान खोल ली और एक आंवले का पेड़ लगाया। भगवान की कृपा से उसकी दुकान चलने ली। वहीं पुत्रों का व्यापार ठप्प हो गया। तब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। वह पिता के पास गए और मांफी मांगी। फिर सेठ के कहने पर उन्होंने आंवला के पेड़ की पूजा शुरू की। इसके प्रभाव से उनके जीवन में सारी तकलीफे दूर हो गईं।