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Arunachal Pradesh: कामेंग नदी का पानी पड़ गया काला, हजारों मछलियां मृत, बढ़ा मिला TDS

Arunachal Pradesh: digi desk/BHN/ ईटानगर/  पर्यावरण के साथ खिलवाड़ और प्रदूषण की एक बड़ी खबर अरुणाचल प्रदेश से आई है।यहां की कामेंग नदी का पानी अचानक काला पड़ गया, और इस वजह से इस नदी की हजारों मछलियां मर गईं। जब जिला मुख्यालय सेप्पा में लोगों ने नदी में हजारों मृत मछलियां तैरती पाई गईं, तब स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी मिली। स्थानीय प्रशासन ने फौरन मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित की है। साथ ही लोगों से अपील की है कि अगले आदेश तक ना तो नदी के पानी का इस्तेमाल करें और ना ही इसकी मछलियों का सेवन करें। शुरुआती जांच में नदी के पानी का टीडीएस काफी बढ़ा हुआ पाया गया है। इसी वजह से नदी का रंग भी काला पड़ गया। इसकी वजह की छानबीन की जा रही है।

जिला मत्स्य पालन अधिकारी ने बताया कि टीडीएस (TDS) बढ़ने के कारण जलीय प्रजातियों के लिए पानी में दृश्यता कम हो गई, साथ ही उनको सांस लेने में भी समस्या हुई होगी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। विशेषज्ञों के अनुसार नदी में टीडीएस 6,800 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो सामान्य सीमा 300-1,200 मिलीग्राम प्रति लीटर से काफी ज्यादा था।

क्या होता है टीडीएस?

पानी में घुली हुई सभी चीजों को टीडीएस (Total Dissolved solids) कहते हैं। इसमें सॉल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, कार्बोनेट, क्लोराइड आदि आते हैं। बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के मुताबिक, मानव शरीर अधिकतम 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) टीडीएस सहन कर सकता है। अगर यह लेवल 1000 पीपीएम हो जाता है तो शरीर के लिए नुकसानदेह हैं। WHO के मानक के मुताबिक पानी में 300 से कम टीडीएस है तो उसे एक्सेलेंट कैटिगरी का माना जाता है। वहीं 1200 से ज्यादा के टीडीएस वाले पानी को खराब कैटिगरी में माना जाता है।

किसी की साजिश तो नहीं?

नदी के पानी में 6000 मिलीग्राम से अधिक टीडीएस का मतलब है कि इसमें कोई केमिकल या प्रदूषणकारक तत्व बड़ी मात्रा में डाला गया है। इसके पीछे लोग चीन की साजिश बता रहे हैं। आरोप है कि नदी से सटे इलाकों में चीन की निर्माण गतिविधियां तेज हो गई हैं और इसी कारण पानी में टीडीएस बढ़ गया है। इससे पहले नवंबर 2017 में भी पासीघाट में सियांग नदी का पानी काला हो गया था। उस वक्त भी पूर्व कांग्रेस सांसद ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र लिखा और आरोप लगाया कि इसके पीछे चीन द्वारा 10,000 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण मुख्य वजह है। हालांकि, चीन ने इस आरोप का खंडन किया था।

 

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