Climate activist anjali sharma: digi desk/BHN/ भारतीय मूल की पर्यावरण कार्यकर्ता अंजलि शर्मा ऑस्ट्रेलिया में सरकार के साथ एक ऐसे मुद्दे पर कानूनी लड़ाई लड़ रही है जिसका हम सभी से वास्ता है। वे जलवायु परिवर्तन को लेकर मुखर हैं। उन्होंने पर्यावरण व जलवायु को लेकर आस्ट्रेलिया के मंत्री के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां से मिली जीत के बाद उनकी सराहना हो रही है। सात युवा पर्यावरणविदों की एक टीम का नेतृत्व करते हुए अंजलि ने इस साल मई में इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले भविष्य के नुकसान को रोकने के फर्ज से यह राष्ट्र किनारा नहीं कर सकता। ऑस्ट्रेलियाई समाचार मीडिया वेबसाइट news.com.au के अनुसार न्यू साउथ वेल्स की कोर्ट में आठ आवेदक एक कोयला परियोजना के प्रस्ताव के खिलाफ अदालत में गए। उन्होंने यह तर्क दिया कि कि पर्यावरण मंत्री सुसान ले ऑस्ट्रेलिया के बच्चों की देखभाल के कर्तव्य से न्याय नहीं कर पा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सोमवार को फेडरल कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ अपनी कानूनी चुनौती शुरू कर दी है। इस साल मई में मेलबर्न से भारतीय मूल की 17 वर्षीय हाई-स्कूल की छात्रा अंजलि शर्मा और सात अन्य किशोर पर्यावरणविदों ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई का नेतृत्व किया।
शर्मा और उनके समूह ने तर्क दिया था कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का निरंतर उत्सर्जन तीव्र झाड़ियों, बाढ़, तूफान और चक्रवातों को चलाएगा और उन्हें इस सदी के अंत में चोट, बीमारी, आर्थिक नुकसान और यहां तक कि मौत के लिए कमजोर बना देगा। उन्होंने अदालत से पर्यावरण मंत्री सुसान ले को उत्तरी न्यू साउथ वेल्स में विकरी कोयला खदान के विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी देने से रोकने का आग्रह किया। न्यायमूर्ति मोर्दकै ब्रोमबर्ग ने अपने फैसले में कोयला खदान परियोजना के विस्तार को मंजूरी दी। उन्होंने पाया कि जब उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण (ईपीबीसी अधिनियम) के तहत परियोजना के विस्तार का फैसला किया, तो मंत्री का बच्चों को “व्यक्तिगत चोट से बचने के लिए उचित देखभाल करने का कर्तव्य” था। कोर्ट के इस निर्णय को अंजलि एवं उनके साथी कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा गया था और उनकी प्रशंसा की गई थी। हालांकि ले ने पिछले महीने कोयला परियोजना को मंजूरी देने का फैसला किया।
बाढ़ के बाद बदला रुख, अंजलि शर्मा ने ऐसे की शुरुआत
17 वर्षीय अंजलि शर्मा भारत में पैदा हुई थी और अपने माता-पिता के साथ ऑस्ट्रेलिया चली गई थी। उनका कहना है कि पर्यावरणीय प्रयासों में बदलाव की मांग के प्रति उनका झुकाव 2017 में दक्षिण एशिया में विनाशकारी बाढ़ के बाद आया था। उन्होंने बताया, मैंने भारत में अपने परिवार को जलवायु परिवर्तन और भीषण बाढ़ के प्रभावों से जूझते देखा है। अंजलि को पिछले महीने वैश्विक प्रतिभागियों में से प्रतिष्ठित बाल जलवायु पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। वह पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली पांच युवा कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जिसके लिए अगले महीने समारोह होने वाला है।