आधे-अधूरे एक्सटेंशन से क्या होगा ?
इंफ़ोसिस द्वारा अफरातफरी में उपलब्ध कराए गए इनकम टैक्स पोर्टल की नाकामी के चलते आयकर विभाग द्वारा आयकर रिटर्न भरे जाने की तारीखें बढ़ाया जाना पूर्व अनुमानित था और “करदाता भारती” सहित देश भर से विभिन्न संगठनों ने मंत्रालय से इसकी पुरजोर मांग भी की थी। मगर जैसा अनुमानित था बिना तरतीब के तारीखें बढ़ाई गई हैं। उचित यह होता कि वर्तमान परिस्थिति और पोर्टल की अब तक नाकामी को देखते हुए सभी तारीखों को 31 मार्च 2021 तक बढ़ाया जाता लेकिन विभाग की सोच में इतना सुधार तो आया है कि तारीख बढ़ाने का ऐलान समय रहते किया गया वरना हमने ऐसे मंज़र भी देखे हैं कि आखिरी तारीख की शाम ये ऐलान किए गए !
अभी भी विभागों के बीच समन्वय के अभाव और अधिकारियों की अकड़ का आलम यह है कि कंपनी कार्य मंत्रालय ने कंपनी की वार्षिक आम सभा की तारीख नहीं बढ़ाई है और उसे 30 सितंबर तक यह काम करना है ! इसका आशय यह कि कंपनी की ऑडिट 5 सितंबर तक पूर्ण हो जानी चाहिए थी। कोई इन बुद्धिमानों से यह पूछे कि जब आयकर पोर्टल से करदाता खाता तैयार करने की जरूरी जानकारी ही नहीं ले पा रहा है तो वह कब एकाउंट तैयार करेगा और कब ऑडिट पूरी होगी ? लगता यह है कि विभाग को भरोसा है कोरोना वाइरस कंपनी वाले करदाताओं से सुरक्षित दूरी बनाए हुए है इसलिए उसे किसी रियायत की जरूरत नहीं है। जबकि असलियत यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में लाखों करदाता, अधिवक्ता, चार्टर्ड एकाउंटेंट और कंपनी कर्मचारी शहीद हुए हैं।
प्रधानमंत्री जी से अपेक्षा है कि वे इन दोनों विभागों में समन्वय कराकर कंपनी मामलों की तारीखें भी युक्तियुक्त तरीके से बढ़वाने की व्यवस्था कर करदाताओं के प्रति अपने वायदे को पूरा कर इस प्रकार के “कर आतंकवाद से मुक्ति” दिलाएं !