Shri Krishna Janmashtami 2021: digi desk/BHN/ग्वालियर/मैनेजमेंट मास्टर कहें या जगतगुरु गिरधर कहें, या रणछोड़ भगवान। श्री कृष्ण के जितने नाम हैं उतनी कहानियां हैं। जीवन जीने के तरीकों को अगर किसी ने परिभाषित किया है, तो वो कृष्ण हैं। महानायक भगवान श्री कृष्ण जिनका चरित्र दार्शनिक होने के साथ-साथ बहुत ही व्यवहारिक भी है। भगवान श्री कृष्ण अपने साथ ऐसी चीजें रखते हैं, जो जनसाधारण के लिए कुछ ना कुछ संदेश देती हैं। बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन प्रेम पर्याय रहा। श्री कृष्ण मानव इतिहास में मनुष्यता के सबसे बड़े मार्गदर्शक रहे हैं। महानायक भगवान श्री कृष्ण की चीजों से जीवन जीने की कला प्राप्त होती है।
प्रेम और शांतिः मुरलीधर हर पल प्रेम और शांति देने वाली बांस की बांसुरी अपने साथ रखते हैं। बांसुरी, सम्मोहन, खुशी व आकर्षण का प्रतीक मानी गई है। क्योंकि बांसुरी में 3 गुण है। पहला बांसुरी में गांठ नहीं है, जो इस बात का संकेत करती है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखो। अर्थात मन में बदले की भावना नहीं रखनी चाहिए। दूसरा बिना बजाय यह बजती नहीं है। मानो यह समझा रही है कि जब तक कहा ना जाए तब तक मत बोलो, तीसरा जब भी बांसुरी बजती है वह मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ है जब भी बोलो मीठा बोलो, अतः इस तरह के गुणों वाले व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं।
उदारता का संदेशः संसार में पृथ्वी और गो सेवा से बड़ा कोई उदार और क्षमादान देने वाला नहीं है। गाय भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है, क्योंकि गाय सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है। गाय का मूत्र, गोबर, दूध ,दही ,और घी, इन्हें पंचगव्य कहते हैं। इनके सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है।
ब्रह्मचर्य की भावनाः शास्त्रों में मोर को चिर ब्रह्मचर्य जीव समझा जाता है। ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में श्री कृष्ण मोर पंख धारण करते हैं। मोर मुकुट का गहरा रंग दुख और कठिनाइयां तथा हल्का रंग सुख शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष और वास्तु में मोर पंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है।
अहंकार का परित्यागः भगवान कृष्ण के गले में वैजयंती माला सुशोभित है, जो कमल के बीजों से बनी है। कमल के बीज बहुत ही सख्त होते हैं, जो कभी टूटते नहीं है। इसका तात्पर्य है, जब तक जीवन है तब तक ऐसे रहो जिससे तुम्हें देखकर कोई दुखी ना हो। दूसरा यह बीजों की माला है। इस माला के माध्यम से भगवान यह संदेश देते हैं कि जमीन से जुड़े रहो, हमेशा अपने अस्तित्व के नजदीक रहो और अहंकार का त्याग करो।