Volcanic eruptions: digi desk/BHN/ हमारी धरती और उसकी पर्यावरण एक जटिल प्रक्रिया के तहत कार्य करता है, जिसे समझने का प्रयास वैज्ञानिक लगातार कर रहे हैं। भूवैज्ञानिक बीते कई वर्षों से इस शोध में लगे हैं कि आखिर ज्वालामुखी धरती के पर्यावरण को कैसे प्रभावित करते हैं। अब हाल ही में शोधकर्ताओं के एक दल ने अपने शोध में बताया है कि धरती की कई धरातलीय प्रक्रियाओं में ज्वालामुखी अहम भूमिका निभाते हैं। शोध में बताया गया है कि बीते लाखों वर्षों में ज्वालामुखियों ने पृथ्वी के तापमान को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ज्वालामुखी विस्फोट को लेकर ये खुलासा जिस शोध दल ने किया है, उसमें साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय (यूके), सिडनी विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया), ओटावा विश्वविद्यालय (यूएसए) और लीड्स विश्वविद्यालय (यूके) के वैज्ञानिक शामिल थे। शोधकर्ताओं ने ज्वालामुखी विस्फोट के संबंध में धरती की ठोस परतों, वायुमंडल और महासागर में प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। हाल ही इस शोध का निष्कर्ष ‘नेचर’ जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि दुनियाभर के ज्वालामुखी एक साथ फट जाए तो धरती का तापमान 5 सालों के लिए काफी कम हो जाएगा। दरअसल ज्वालामुखी विस्फोट के कारण धरती के वायुमंडल में धूल और राख का घनत्व बढ़ जाने के कारण वायुमंडल में सूर्य की किरणें कम प्रवेश कर पाएंगे, जिससे तापमान में गिरावट आएगी। इस संबंध में शोधकर्ताओं ने उदाहरण देते हुए कहा है कि फिलीपींस का माउंट पिनाटुबो ज्वालामुखी 1991 में भयानक तरीके से फटा था।
इस ज्वालामुखी विस्फोट के बाद धरती के तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की कमी दर्ज की गई थी। ताजा शोध के अनुसार ग्रीन हाउस गैसों के कारण ज्वालामुखी से निकले राख और धूल के कण तेजी से वायुमंडल में ज्यादा ऊंचाई तक जाएंगे और तेजी से वायुमंडल में फैलेंगे। इस कारण से सूर्य की रोशनी धरती पर ज्यादा मात्रा में प्रवेश नहीं कर पाएगी और तापमान में गिरावट दर्ज होगी।