Today is the histroric day of Chandrayaan 2:digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए आज 22 जुलाई का दिन बेहद खास है क्योंकि आज ही दिन साल 2019 में इसरो ने चांद के अब तक के सबसे अनजान क्षेत्र के बारे जानकारी हासिल करने के लिए चंद्रायान-2 (Chandrayaan-2) का कामयाब परीक्षण किया था। चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से सफलतापूर्वक चांद की ओर रवाना किया गया था। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 मिशन को साल 2008 में सरकार ने मंजूरी दी थी, इसे साल 2013 में लांच किया जाना था, लेकिन रूस से लैंडर नहीं मिलने के कारण इस मिशन को अप्रैल 2018 तक के लिए टाल दिया गया था। इस बाद भी कई प्रत्याशित कारणों के कारण चंद्रयान-2 मिशन को टालना पड़ा था और आखिरकार 22 जुलाई 2019 को इसे सफलतापूर्वक चांद की ओर रवना कर दिया गया था।
भारतीय वैज्ञानिकों पर टिकी थी दुनियाभर की निगाहें
मायूस इसरो चीफ को पीएम मोदी ने लगाया था गले
असफल लैंडिंग और लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने पर इसरो चीफ के सिवन ने कहा था कि विक्रम लैंडर योजना के मुताबिक उतर रहा था और सतह से 2.1 किलोमीटर दूर तक सब कुछ सामान्य था लेकिन अचानक तकनीकी समस्या के कारण संपर्क टूट गया। विक्रम लैंडर को रात 1:30 बजे से 2:30 बजे के बीच चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरना था। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसरो में मौजूद थे। आखिरी पलों में इसरो केंद्र में तनाव के हालात बन गए और वैज्ञानिकों के चेहरों पर चिंता दिखने लगी थी। बाद में इसरो अध्यक्ष प्रधानमंत्री मोदी के पास गए और उन्हें जानकारी दी। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन और के राधाकृष्णन ने सिवन के कंधे पर हाथ रख उन्हें तसल्ली दी। इस दौरान इसरो चीफ के सिवन को भी आंसू आ गए और प्रधानमंत्री मोदी के गले लगकर रोए थे।
गौरतलब है कि चंद्रयान-2 मिशन के जरिए पहली बार चांद के दक्षिणी हिस्से के बारे में जानने की कोशिश हो रही थी। चंद्रमा की दक्षिणी सतह से दुनिया पूरी तरह अनजान है। हमें धरती से चांद का जो हिस्सा दिखता है, वह उत्तरी सतह है। दक्षिणी सतह पर हमेशा अंधेरा छाया रहता है। भारत के इस मिशन की कुल लागत 978 करोड़ रुपए थी और चंद्रयान-2 में कुल 14 पेलोड थे। इनमें से 13 ISRO के और एक NASA का पेलोड लगा हुआ था।