छतरपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल ने छतरपुर जिले के बकस्वाहा संरक्षित वन क्षेत्र में 2.15 लाख पेड़ों को काटने के संबंध में आदेश देते हुए कहा है कि जंगल में अधिकारियों की बिना अनुमति के पेड़ों को किसी प्रकार से नुकसान न पहुंचाया जाए।
एनजीटी ने यह आदेश ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एलएलबी द्वितीय वर्ष के छात्र उज्ज्वल शर्मा द्वारा दायर एक याचिका और डॉ. पीजी नजपांडे द्वारा दायर की गई याचिकाओं को मिलाकर सुनवाई के बाद दिया है। प्रतिपक्ष ने तर्क दिया कि पर्यावरण मंजूरी और वन मंजूरी अभी तक केन्द्र सरकार द्वारा प्रदान नहीं की गई है। हालांकि, एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ट्रिब्यूनल द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है कि अधिकारियों की अनुमति के बिना किसी भी पेड़ को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि बकस्वाहा के 382.131 हेक्टेयर वन क्षेत्र को एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड के नेतृत्व में बंदर डायमंड माइन प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी दी जानी है, जो आदित्य बिड़ला समूह की एक इकाई है। माना जा रहा है कि अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो यह एशिया की सबसे बड़ी डायमंड माइन बन सकती है।
हालांकि इस परियोजना से पर्यावरण को होने वाले विनाश के बारे में कई पर्यावरणविदों ने चिंता जताई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस परियोजना के लिए प्रति वर्ष लगभग 5.3 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी। छतरपुर क्षेत्र में पहले से मौजूद पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए, इस बात का अंदेशा जताया गया है कि परियोजना में पानी की अत्यधिक उच्च मांग अंततः पारिस्थितिक असंतुलन का कारण बनेगी और उस क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों के लिए एक खतरा बन सकती है।