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शिवपुरी के चार आदिवासी युवकों को गुजरात से बंधुआ मजदूरी से कराया मुक्त

शिवपुरी

सहरिया क्रांति और पुलिस के संयुक्त प्रयासों से हिम्मतनगर स्थित अमरों कंपनी में बंधक बनाए गए चार आदिवासी मजदूरों को सकुशल मुक्त कराया गया और उन्हें उनके घर बड़ावड़ी, थाना सुरवाया, शिवपुरी लाया गया। इनमें तीन नाबालिग और एक युवक शामिल है। बंधक बनाए गए आदिवासी युवकों के घर लौटने पर गांव में खुशी का माहौल देखने को मिला और सभी भावुक हो उठे।

इस दौरान परिजनों ने फूल-मालाओं से चारों युवकों का स्वागत किया। परिजन उन्हें देखकर भावुक हो गए, वहीं गांव के लोग भी इसे देखकर भावुक हो उठे। गांववालों ने चारों युवकों का जोरदार स्वागत किया।

कैसे हुआ मामला उजागर?

दरअसल, यह घटना तब सामने आई जब बंधक बनाए गए मजदूरों के परिजनों ने सहरिया क्रांति के कार्यकर्ताओं अजय आदिवासी, स्वदेश आदिवासी और दिलीप आदिवासी के माध्यम से पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़ को इसकी शिकायत की। शिकायत में परिजनों ने बताया कि गांव के चार मजदूर गौतम आदिवासी, अन्वेष आदिवासी, सुनील आदिवासी और बल्ले आदिवासी को एक दलाल अनूप राजपूत ने झूठे वादे कर गुजरात भेज दिया। दलाल अनूप राजपूत ने परिजनों से कहा था कि उन्हें ₹20,000 का मासिक वेतन दिया जाएगा और रहने-खाने की सुविधा भी मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गुजरात पहुंचने पर चारों मजदूरों को बंधक बना लिया गया।

पुलिस की मदद से मुक्त कराया

जानकारी के मुताबिक, दलाल अनूप राजपूत ने गुजरात पहुंचते ही मजदूरों के मोबाइल छीन लिए और उन्हें किसी भी बाहरी व्यक्ति से संपर्क करने से रोक दिया। इस दौरान चारों मजदूरों से अत्यधिक काम करवाया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। परिजनों को महीनों तक उनकी कोई खबर नहीं मिली, जिससे वे परेशान हो गए और सहरिया क्रांति के सदस्यों से मदद मांगी। सहरिया क्रांति और पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और थाना प्रभारी अरविंद छारी की अगुवाई में एक टीम गठित की। टीम ने नरवर और गुजरात में दबिश देकर चारों मजदूरों को मुक्त कराया।

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