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Chhatarpur: पर्यावरण की एनओसी, विस्फोट के लाइसेंस के बिना चल रहे क्रेशर

छतरपुर/हरपालपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/  जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर स्थित हरपालपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सरसेड़ में कायदे कानून को ताक पर रखकर रेल लाइन के 500 मीटर के दायरे में 4 क्रेशर चल रहे हैं। इनके पास न पर्यावरण विभाग की एनओसी है, न पहाडी से पत्थर तोड़ने का लाइसेंस है। इसके बावजूद पत्थर खदान में डायनामाइट से विस्फोट किए जा रहे हैं।

ग्राम सरसेड़ के पास जहां से झांसी-मानिकपुर रेलवे ट्रैक गुजरा है वहीं रेलवे लाइन के करीब 500 मीटर के दायरे में अवैध रूप से पत्थर की खदान व तीन क्रेशर पूर्व से संचालित हैं। कुछ महीनों पहले रेलवे लाइन के 100 मीटर के दायरे में चौथा क्रेशर प्लांट भी लगा लिया गया है। क्रेशर संचालकों के रसूख के आगे सारे कायदे कानून बेमानी हैं। प्रदूषण की रोकथाम के प्रावधानों का उल्लंघन करके पर्यावरण विभाग से अनुमति लिए बिना राजस्व चुराकर क्रेशर चल रहे हैं। क्रेशर से उड़ने वाली डस्ट को रोकने के लिए यहां पानी के छिड़काव का कोई प्रबंध नहीं हैं। यहां से डस्ट उड़कर आसपास के खेतों को बंजर बना रही है। गांव और घरों पर डस्ट के प्रभाव से लोग एलर्जी व श्वांस रोगों के शिकार हो रहे हैं। क्रेशर के आसपास पेड़-पौधे भी नहीं लगाए गए हैं। सारे प्रावधानों का पालन केवल कागजों पर किया जा रहा है। किसानों ने बताया कि क्रेशर की डस्ट से फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं। खदानों में विस्फोट होने से रेल्वे ट्रैक सहित उनके खेतों में पत्थर गिरते हैं। इतना ही नहीं क्रेशर संचालकों द्वारा सीमावर्ती उत्तर प्रदेश में बिना पिटपास के वाहनों से गिट्टी की सप्लाई की जा रही है। जिससे खनिज विभाग को लाखों के राजस्व का चूना लग रहा है।

 विस्फोट से हिलती है रेल लाइन

हरपालपुर के निकट सरसेड़ गांव में झांसी-मानिकपुर रेल्वे ट्रेक के पास लगे चारों क्रेशरों के लिए कच्चा माल पास में ही पत्थर की खदानों में डायनामाइट विस्फोट करके निकाला जाता है। ये धमाके बेहद असुरिक्षत तरीके से किए जाते हैं, जिसमें पत्थर उड़कर अकसर रेल लाइन व गांव में घरों के आसपास गिरते रहते हैं। जिससे आशंका बनी रहती है कि यदि पत्थर रेलवे लाइन पर जा गिरे तो कहीं कोई बड़ा रेल हादसा न हो जाएं। इसे किस्मत ही कहा जाएगा कि जब ट्रेन गुजरती है तब खदान में विस्फोट नहीं होते हैं वर्ना यात्री भी चोटिल हो जाएं। रेल लाइन पेट्रोलिंग गैंग की मानें तो कई बार रेल लाइन पर खदानों में विस्फोटक से उछलकर आए पत्थर पड़े मिलते हैं, जिसे हटाते रहते है। यदि पत्थर न हटाएं तो दुर्घटना का खतरा हो सकता है।

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