Tigers in MP:digi desk/BHN/भोपाल/ पिछले साढ़े चार महीने में देश में सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 22 बाघों की मौत के बाद सवाल उठ रहा था कि प्रदेश टाइगर स्टेट का रुतबा कायम रख पाएगा? इसका भी जवाब प्रदेश के जंगलों ने दे दिया है। अकेले संरक्षित क्षेत्रों में 150 से ज्यादा बाघ शावक देखे गए हैं, इनकी उम्र एक साल से भी कम है। जबकि एक से दो साल के शावकों की संख्या 50 से ज्यादा बताई जा रही है। यदि एक साल से कम उम्र के शावक जीवित रहने में सफल रहते हैं, तो अगले साल होने वाले पांचवें राष्ट्रीय बाघ आकलन में प्रदेश में 700 के आसपास बाघ गिने जाएंगे। वर्ष 2018 में कराई गई गिनती में भी प्रदेश से ऐसा ही अप्रत्याशित आंकड़ा सामने आया था। तब 218 बाघ बढ़े थे।
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की देखरेख में हर चार साल में देशभर में बाघों की गिनती होती है। यह सिलसिला वर्ष 2006 से शुरू हुआ है और वर्ष 2022 में पांचवीं गणना होना है। इससे पहले संरक्षित क्षेत्रों में दो साल से शावक और वयस्क बाघों की गिनती की जा रही है। दो दिन पहले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने एक साल से कम उम्र के शावकों की गिनती पूरी की है। पार्क में 40 शावक पाए गए हैं। जबकि कान्हा टाइगर रिजर्व में 30 शावकों की उपस्थिति का पता चल रहा है। हालांकि कान्हा सहित दूसरे संरक्षित क्षेत्रों में गिनती अभी जारी है, लेकिन प्रारंभिक आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश अगले साल टाइगर स्टेट का रुतबा बरकरार रखने के लिए तैयार है और इस बार भी 200 से ज्यादा बाघ बढ़ेंगे।
साढ़े 16 महीने में 52 बाघ मरे
जनवरी 2020 से 15 मई 2021 तक के आंकड़े देखें, तो प्रदेश में 52 बाघों की मौत हुई है। इनमें से 30 बाघ वर्ष 2020 में मरे थे, पर इस अवधि में सिर्फ संरक्षित क्षेत्रों में 200 से ज्यादा बाघ पैदा हुए हैं। यदि 63 सामान्य वनमंडल में पैदा हुए शावकों की संख्या भी जोड़ी जाए, तो आंकड़ा 350 से ऊपर जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि 50 फीसद बाघों के जीवित रहने की उम्मीद रहती है, बशर्ते शावक मां से न बिछुड़े और नर बाघ से उसका सामना न हो। प्रदेश में छह टाइगर रिजर्व, पांच नेशनल पार्क और 24 अभयारण्य हैं।
दो बाघों के अंतर से विजेता बना था मप्र
वर्ष 2018 के बाघ आकलन में प्रदेश दो बाघों से विजेता घोषित हुआ था। मध्य प्रदेश में 526 बाघ गिने गए थे, जबकि बाघों की संख्या के मामले में देश में दूसरे नंबर पर रहने वाले कर्नाटक में 524 बाघ पाए गए थे।