Budhha Purnima 2021:digi desk/BHN/ 26 मई बुधवार को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व है। जहां तक पूर्णिमा की बात है, यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावी तिथि होती है। पूर्णिमा की तिथि का शुभ संयोग अनेक विभूतियों के जन्म एवं घटनाओं के साथ जुड़ा है। अधिकांश महात्माओं के जन्म, निर्वाण और दीक्षा जैसी घटनाएं उन तिथियों पर हुईं, जब पूर्णिमा थी। आइये जानते हैं पूर्णिमा के विशेष महत्व के बारे में जानते हैं। पूर्णिमा एवं अमावस के अलावा विभूतियों के जन्म का संयोग अन्य पर्वों पर भी हुआ है। यानी पर्व आते हैं तो अपने साथ विभूतियों का वैभव लाते हैं। ज्योतिषीय भाषा में पूर्ण चंद्र असाधारण आत्मा के जन्म का कारक बनता है। पर्व प्रसंग पर इस प्रकार का संयोग धरती पर किसी विभूति के आने का संकेत देता है। पूर्णिमा के दिन जन्मने वाले शिशु भी जीवन में आगे चलकर ऊंचा स्थान प्राप्त करते हैं।
इसलिए है विशेष महत्व
इस रोचक एवं विचित्र संयोग पर ज्योतिष पक्ष की अपनी दृष्टि है। ज्योतिषी बताते हैं कि पूर्णिमा का चंद्रमा संपूर्ण रूप से कलाओं से युक्त होता है। इस दिन जन्मने वाला व्यक्ति यश, गुण और कीर्ति, ख्याति अर्जित करता है।
पूर्णिमा और पर्व : संयोग की श्रृंखला
- – गुड़ी पड़वा पर सृष्टि के आरंभ के साथ ही भगवान विष्णु का मतस्यावतार हुआ।
- – ब्रम्हसूत्र अथातो भक्ति जिज्ञासा का पहला सूत्र पूर्णिमा पर लिखा गया था।
- – संत रैदास का जन्म माघ सुदी पूर्णिमा पर हुआ था।
- – महर्षि वाल्मीकि का जन्म शरद पूर्णिमा पर हुआ था।
- – संत कबीर का जन्म जेठ सुदी पूर्णिमा पर हुआ था।
- – महर्षि वेदव्यास ने आषाढ़ पूर्णिमा पर महाभारत पूरी की थी।
- – गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा पर हुआ, इसी दिन उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई।
- – स्वामी रामतीर्थ का जन्म वैशाख पूर्णिमा पर हुआ।
- – महामंडलेश्वर जूनापीठाधीश्वर अवधेशानंद जी महाराज का जन्म कार्तिक पूर्णिमा पर हुआ था। इसी दिन उन्होंने दीक्षा ली।