MP High Court: digi desk/BHN/जबलपुर/ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में महाधिवक्ता पुरूषेंद्र कौरव ने जवाब दिया। जिसमें साफ किया कि मुख्यमंत्री निश्शुल्क कोविड उपचार योजना के तहत सरकार दवाइयों के अलावा अन्य सभी खर्चें उठाएगी। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही हस्तक्षेप याचिका का पटाक्षेप कर दिया गया।
खर्चों का प्रविधान नहीं किया गया है
हस्तक्षेप याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और नयागांव, जबलपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए मुख्यमंत्री निश्शुल्क कोविड उपचार योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत निश्शुल्क दवाइयों और अन्य खर्चों का प्रविधान नहीं किया गया है। इस वजह से गरीब तबके के मरीजों को कोरोना का इलाज कराने में परेशानी हो रही है। अस्पतालों में निश्शुल्क उपचार व दवाओं की प्राप्ति नहीं हो रही। अन्य तरह के खर्चे भी मरीजों को खुद उठाने पड़ते हैं। इस मामले में महाधिवक्ता की अंडरटेकिंग के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्टीकरण जारी करने का निर्देश देते हुए आवेदन का निराकरण कर दिया है।
जिला अस्पतालों में कब तक लगा दी जाएगी सीटी स्केन
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश के 37 जिला अस्पतालों में कब तक सीटी स्केन मशीन लगा दी जाएगी। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने राज्य सरकार को 31 मई तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। यह जनहित याचिका कटनी एनएसयूआई के अध्यक्ष दिव्यांशु मिश्रा की ओर से दायर की गई थी। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश के 14 जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन लगा दी गई है। शेष 37 अस्पतालों में जल्द ही मशीन लगा दी जाएगी। अधिवक्ता योगेश सोनी ने तर्क दिया कि विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी दी है, ऐसे में जिला अस्पतालों में जल्द सीटी स्कैन मशीन लगना चाहिए। इस मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।