India claims in unesco victoria is like fall bhedaghat:digi desk/BHN/जबलपुर भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की संभावित सूची में जोड़ लिया है। ये पहली कामयाबी है, अभी चार और कठिन चरण पार करने होंगे। जिसके बाद ही विश्व धरोहर के तौर पर पहचान मिलेगी। इसमें कितना वक्त लगेगा यह साफ नहीं है। इधर भारत ने भेड़ाघाट के धुआंधार की तुलना जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल से की है। नर्मदा की संगमरमरीय सकरी चट्टानों के बीच से नर्मदा के निकलने को अद्धभुत होने का दावा किया है। यूनेस्को ने पहले ही भारत के 48 स्थलों को संभावित सूची में रखा हुआ है। मप्र का मांडू साल 2008 से विश्व धरोहर की संभावित सूची में है।
ये है विश्व धरोहर बनने पांच चरण
- – स्थल का दावा यूनेस्को में भेजा जाता है। जिसके आधार पर संभावित सूची जारी होती है। इसके एक 10 साल के भीतर स्थल से जुड़े प्रमाणित दस्तावेजों का जुटाकर देना होता है।
- – नामिनेशन जमा किया जाता है। यूनेस्को के विश्व धरोहर संस्थान से मदद मिलती है वो संबंधित नक्शा, दस्तावेज संग्रह करने में जरूरी सुझाव एवं मदद देता है।
- – कमेटी निरीक्षण करने पहुंचती है। इसमें शामिल विशेषज्ञ विश्व धरोहर से जुड़े तथ्यों की जांच कर उसे प्रमाणित करते हैं।
- – नामांकन एवं मूल्यांकन के पश्चात विश्व धरोहर समिति के पास सिफारिश जाती है। जो तथ्यों को आकलन करने के पश्चात निर्णय लेती है।
- – विश्व धरोहर के लिए निर्धारित 10 मापदंड में न्यूनतम एक मापदंड को पूरा करने पर विश्व धरोहर घोषित किया जाता है।
भेड़ाघाट की विशेषता
- जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल की तर्ज पर धुआंधार जलप्रपात है। यहां आकर्षण संगमरमरीय चट्टानें है जिनके बीच से करीब तीन किमी दूर तक नर्मदा निकलती है।
- अधिकांश भारतीय नदियां पश्चिम से पूर्व दिशा में बहती है। सिर्फ ताप्ती के साथ नर्मदा विपरीत दिशा में बहती है।
- भेड़ाघाट क्षेत्र में सफेद संगमरमर के अलावा ग्रे, गुलाबी और नीले भूरे जैसे विभिन्न रंग हैं जो संगमरमर की चट्टानों को अतिरिक्त सुंदरता प्रदान करते हैं।