Coronavirus Crisis:digi desk/BHN/ नई दिल्ली/केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश करके अपना जवाब पेश कर दिया है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में साफ कहा है कि कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के दौरान अतिउत्साह में बात बिगड़ सकती है। ऐसे में किसी भी हस्तक्षेप से देश को नुकसान भी हो सकता है। केंद्र सरकार जो भी कर रही है, वो एक्सपर्ट की सलाह के बाद कदम उठा रही है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का दखल नहीं होना चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा पेश एफिडेविट लीक होने पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नाराजगी भी जताई।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए अपनी नीतियों के संबंध में एफिडेविट रविवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था, जिसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए पूरी रणनीति एक्सपर्ट मेडिकल और साइंटिफिक ओपिनियन के आधार पर चल रही है। इसमें न्यायिक दखल की गुंजाइश बेहद कम है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि नेक नीयत से अतिउत्साह में की जा रही दखलंदाजी से अप्रत्याशित नतीजे सामने आ सकते हैं।
वैक्सीन की कीमतों पर केंद्र सरकार का जवाब
वहीं वैक्सीन की कीमतों को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हलफनामे में कहा है कि देश में वैक्सीन सिर्फ सस्ती ही नहीं है, बल्कि पूरे देश में समान कीमत भी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि कुछ राज्यों में 18 से 45 साल के लोगों को फ्री में वैक्सीन लगाने का ऐलान किया है। गौरतलब है कि बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा था कि देश में वैक्सीन की कीमतों पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन की कीमतों में काफी अंतर है।