Corona Alert:digi desk/BHN/जबलपुर/ मां के गर्भ से जन्म लेते ही नवजात को कोरोना महामारी के संक्रमण ने घेर लिया। कोरोना संक्रमित मां का प्रसव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कराया गया। जन्म लेने वाले शिशु की कोरोना की जांच कराई गई तो वह भी वायरस से संक्रमित मिला। मेडिकल कॉलेज में परीक्षण उपरांत 100 से ज्यादा बच्चे कोरोना से संक्रमित मिल चुके हैं। जिनमें से ज्यादातर होम आइसोलेशन में रहकर संक्रमण को हरा चुके हैं। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना का संक्रमण एक दिन के बच्चे पर भी असर डाल रहा है।
एक दिन से लेकर 17 वर्ष के बीच लगभग हर आयु वर्ग के बच्चों में संक्रमण मिला है, परंतु इन दिनों दो से 10 साल वाले संक्रमित बच्चों की संख्या ज्यादा है। कोरोना संक्रमित कुछ बच्चों को मेडिकल में भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि अन्य आयु वर्ग के लोगों की तुलना में फिलहाल जिले में बच्चों में कोरोना संक्रमण बहुत कम देखा जा रहा है।
बच्चे, बड़ों को व बड़े बच्चों को कर रहे संक्रमित
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अव्यक्त अग्रवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमित बच्चों से बातचीत में पता चलता है कि घर के वृद्धजन अथवा अन्य सदस्यों की वजह से उन्हें वायरस ने घेर लिया। घर के वृद्धजन व युवा घर के बाहर घूम रहे हैं, जिनकी वजह से बच्चों तक संक्रमण पहुंचा। इसी तरह वे बच्चे जो घरों से बाहर निकलकर खेलकूद रहे हैं, उनकी वजह से घर के वृद्धजन संक्रमित हो रहे हैं।
राहत की बात, होम आइसोलेशन में हो रहे स्वस्थ
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कोरोना संक्रमित ज्यादातर बच्चे होम आइसोलेशन में स्वस्थ हो रहे हैं जो राहत की बात है। कोरोना ग्रसित कुछ बच्चे ए सिमटोमैटिक मिले। उनमें कोई खास लक्षण नहीं था। समय से नियमित उपचार के कारण वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। उन्होंने कहा कि इस दौरान बच्चों का इसलिए ज्यादा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि एमआइएससी के मामले बढ़ रहे हैं। घर के बाहर घूमने के दौरान बच्चे कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं। ए सिमटोमैटिक होने के कारण बीमारी का पता नहीं चलता। कुछ दिन बाद लंबे समय के लिए बुखार की चपेट में आ जाते हैं।
यह हैं लक्षण
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि हल्का व तेज बुखार, सर्दी, खांसी, पेट दर्द, दस्त, चिड़चिड़ापन, थकावट, मांस पेशियों में दर्द, सांस लेने में परेशानी, खानपान की समस्या से ग्रस्त बच्चे कोरोना की चपेट में हो सकते हैं। कोरोना संक्रमित बच्चों में यह लक्षण सामने आए हैं। कुछ बच्चों में शरीर पर रेशेस व गिल्टी की समस्या देखी गई। इसलिए लंबे समय तक बुखार अथवा उक्त लक्षण होने पर बच्चों को बिना देर किए चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।