सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश की बॉर्डर में चित्रकूट के पास बहिलपुरवा के जंगल में उत्तर प्रदेश एसटीएफ द्वारा डकैत गैंग गौरी यादव के सदस्य भालचंद यादव को मुठभेड़ मे मार गिराया गया था। अब इस मामले में राजनीति गरमा गई है। चित्रकूट के कांग्रेस विधायक निलांशू चतुर्वेदी ने इस पूरे मामले में सीबीआइ जांच की मांग करते हुए भालचंद के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने सरकार से मांग की है। विधायक ने इस पूरे एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए इसके पीछे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार के निर्देशों पर चल रही पुलिस ने मनरेगा में काम करने वाले बेकसूर मजदूर को डकैत बनाकर उसका एनकाउंटर कर दिया जो की पूरा फर्जी है। इस मामले में अब कांग्रेस द्वारा पीड़ित पक्ष की मदद करने के लिए मानवाधिकार आयोग में जाने के साथ-साथ सीबीआई जांच की मांग की गई है। इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिलीप मिश्रा, नगर कांग्रेस अध्यक्ष मकसूद अहमद, प्रवक्ता अतुल सिंह परिहार और भालचंद के वकील रामनरेश त्रिपाठी सहित अन्य उपस्थित रहे।
शुक्रवार को किया गया था अंतिम संस्कार
उल्लेखनीय है कि भालचंद का शुक्रवार को अंतिम संस्कार सतना जिले के मझगवां अंतर्गत पड़मनिया जागीर गांव में किया गया। यूपी एसटीएफ द्वारा मुठभेड़ में मारे गए डकैत भालचंद का गुरुवार रात को पोस्टमार्टम हुआ था। पोस्टमार्टम के बाद भी स्वजनों को शव नहीं सौंपने से सतना के चित्रकूट विधायक नीलांशू चतुर्वेदी ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया और इसे मानवता के खिलाफ बताते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत कर दी जिसके बाद आनन-फानन में मृत डकैत भालचंद का शव उसके स्वजनों को सौंपा गया। जिसका शुक्रवार को गांव में ही पुलिस की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
भालचंद मनरेगा में मजदूर के नाम से है पंजीकृत
विधायक नीलांसू चतुर्वेदी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पर ही बड़े आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस द्वारा ही डकैत तैयार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह मनरेगा में पंजीकृत मजदूर भालचंद जो कि मारपीट और धमकाने के मामलों में पेशी के लिए अपने भाई लालचंद के साथ सतना न्यायालय आया था उसे लौटते वक्त उत्तर प्रदेश की एसटीएफ उठा ले गई और बहिलपुरवा के जंगलों में मार गिराते हुए एनकाउंटर करार दे दिया। विधायक ने आरोप लगाया है कि इसी मामले में उसके भाई पर भी हथियार रखकर आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि वे डकैत गौरी यादव के जरूर रिश्तेदार हैं लेकिन इतने बड़े अपराधी नहीं थे कि उन्हें मुठभेड़ में मार दिया जाए। भालचंद के वकील रामनरेश त्रिपाठी ने भी दावा करते हुए कहा के कि सतना के मझगवां और उत्तर प्रदेश के बहिलपुरवा थाना में मात्र एक-एक प्रकरण भालचंद पर दर्ज थे।
विधायक ने कहा पुलिस बनाती है डकैत
विधायक ने कहा कि पुलिस द्वारा अब उनके भाई पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं। आगे चलकर उन्हें भी डकैत बताकर मार दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश की पुलिस एमपी के क्षेत्र में रह रह मजदूरों के नाम पर फर्जी मुकदमें दर्ज कर देती है और सरकार की सह पर बाद में उन्हें डकैत करार कर उनका एनकाउंटर कर देती है। विधायक ने एमपी पुलिस पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि बिना पुलिस अधीक्षक की अनुमति के उत्तर प्रदेश की एसटीएफ कैसे सतना आकर न्यायालय से लौटते वक्त भालचंद को उठाकर ले गई और हत्या कर दी। इसकी सीबीआई जांच होना चाहिए। क्योंकि दोपहर दो बजे न्यायालय में पेशी के बाद शाम पांच बजे मुठभेड़ में मार गिराए जाने की घटना कैसे हो सकती है जबकि सतना न्यायालय से दोनों भाई मोटर साइकिल से गांव जा रहे थे जो कि 100 किलोमीटर है और मुठभेड़ वाला स्थान 150 किलोमीटर दूर है। यह पूरी साजिश के तहत हुई हत्या है।