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भ्रष्ट पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी को पांच साल की कठोर कैद, 25 हजार का जुर्माना

छतरपुर, भास्कर हिंदी न्यूज़/ विभाग के कर्मचारी की शिकायत को रफा दफा करने के एवज में पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी ने रिश्वत मांगी थी। लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों रिश्वत लेते डॉक्टर को पकड़ था। कोर्ट ने आरोपित डॉक्टर को पांच साल की कठोर कैद के साथ 25 हजार रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई है। सजा सुनाने के बाद डॉक्टर को जेल भेज दिया गया।

एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि फरियादी राजकुमार जैन ने 6 जून 2014 को लोकायुक्त पुलिस में इस आशय की शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी बेटी 100 प्रतिशत विकलांग होने के कारण वह परिवार के साथ बड़ामलहरा में रहता है। राजकुमार के खिलाफ आरोपित पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी मदन मोहन अहिरवार के द्वारा रामटौरिया में उपस्थित न रहने के संबंध में शिकायत उच्च अधिकारी को की थी। इस शिकायत को रफा दफा करने के एवज में मदन मोहन उससे दस हजार रुपए ले चुका है। 2500 रुपये और रिश्वत की मांग कर रहा है। राजकुमार उसे रिश्वत नहीं देना चाहता और उसे रंगे हाथो पकड़वाना चाहता है। लोकायुक्त एसपी ने निरीक्षक केके अग्रवाल को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। 7 जून को राजकुमार ने संपर्क कर मदन मोहन की रिश्वत की बातचीत को रिकॉर्ड की। 9 जून को राजकुमार 2500 रुपए रिश्वत की राशि लेकर ट्रेपदल के साथ शाम 5 बजे बड़ामलहरा तिराहे के पास पहुंचा। ट्रेप दल पशु अस्पताल के बाहर छिपकर खड़े हो गए। राजकुमार ने मदन मोहन के घर जाकर रिश्वत की राशि दी और बाहर आकर इशारा किया। ट्रेप दल ने अंदर आकर घेर लिया और रिश्वत की राशि बरामद की। पुलिस ने डॉक्टर के हाथों की अंगुलियों को घोल बनाकर धुलवाया तो घोल का रंग गुलाबी हो गया। लोकायुक्त पुलिस ने विवेचना के बाद मामले को अदालत में पेश कर दिया।

विशेष न्यायाधीश सुधांशु सिन्हा की कोर्ट ने सुनाया फैसला

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रवेश अहिरवार ने पैरवी करते हुए सभी सबूतों को अदालत के सामने पेश किए और कठोर सजा देने की दलील रखी। विशेष न्यायाधीश सुधांशु सिंहा की अदालत ने आरोपित डॉक्टर मदन मोहन को रिश्वत लेने के अपराध का दोषी ठहराया। न्यायाधीश सिंहा की अदालत ने फैसला सुनाया कि लोक सेवकों के द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है। जो समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नींव को हिला रहा है। ऐसे में आरोपित को सजा दिए जाने में नम्र रुख अपनाया जाना विधि की मंशा के विपरीत होना और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है। अदालत ने आरोपित डॉक्टर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में पांच साल की कठोर कैद के साथ 25 हजार रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई।

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