I am the monkey:digi desk/BHN/ प्रदेश के सूक्ष्म-लघु व मध्यम उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल के रवैये से शहर के उद्योगपति निराश नजर आ रहे हैं। प्रमुख सचिव गुरुवार को इंदौर आए। रेसीडेंसी में उद्योगपतियों को मिलने बुलाया। तय समय से डेढ़ घंटे देरी से पहुंचे प्रमुख सचिव के सामने उद्योगपतियों ने अपनी समस्या रखी। इस पर पोरवाल ने निराकरण के आश्वासन की बजाय सरकार और जनप्रतिनिधियों से बात करने की सलाह उद्योगपतियों को दे दी।
एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज मप्र (एआइएमपी), लघु उद्योग भारती, पालदा उद्योग संघ के पदाधिकारियों को प्रमुख सचिव से चर्चा के लिए उद्योग विभाग ने रेसीडेंसी कोठी बुलाया था। उद्योगपतियों को सचिव के साथ मीटिंग के लिए सुबह 11 बजे का समय दिया था। प्रमुख सचिव दोपहर करीब 1.30 बजे रेसीडेंसी पहुंचे। इस बीच इंतजार कर थके कुछ उद्योगपति वहां से रवाना हो गए। बाद में एआइएमपी के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने प्रमुख सचिव पोरवाल से उद्योग अनुमतियों के लिए आनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की मांग रखी। शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में अतिक्रमण की समस्या बताते हुए स्थानीय प्रशासन से समन्वय कर अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए भी कहा। उद्योगों की समस्या के लिए हेल्प लाइन बनाने का सुझाव भी दिया। इस पर प्रमुख सचिव ने उद्योगपतियों से कहा कि आप जनप्रतिनिधियों के जरिए सरकार तक अपनी बात पहुंचा दे। डफरिया ने इस जवाब पर आपत्ति लेते हुए कहा कि विभाग के मुखिया आप है ऐसे में आप ऐसा जवाब दे रहे हैं। प्रमुख सचिव ने उद्योगपतियों से कह दिया कि मैं बंदर हूं, हनुमान सरकार के ही लोग है। मैं कायदे-कानून से ही काम कर सकता हूं।
सूरज-छत से मिलेगी उद्योगों को सस्ती बिजली
प्रमुख सचिव पोरवाल ने उद्योगपतियों को वर्ल्ड बैंक और भारतीय स्टेट बैंक की योजना की जानकारी देते हुए कहा कि उद्योगों की छत पर सौलर प्लांट लगाए जाएंगे। 10 किलो वाट क्षमता के इन प्लांट के लिए खर्च बैंक करेंगे। उद्योगपतियों को सिर्फ अपनी छत उन्हें देना है। इससे बनने वाली बिजली लगभग 3 रुपये सस्ती दर पर उद्योगों को दी जाएगी। 10 वर्ष बाद प्लांट पर उद्योग का स्वामित्व ही दे दिया जाएगा। इस पर उद्योगपतियों ने सहमति जताते हुए जल्द ही आवेदन विभाग तक भेजने पर सहमति दे दी। बैठक में उद्योग संगठनों से प्रकाश जैन, हरीश नागर, तरुण व्यास समेत अन्य प्रतिनिधि मौजूद थे।