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Mahakal Temple: महाकाल मंदिर में शिवनवरात्रि उत्सव तीन मार्च से, नौ दिन तक दूल्हे के रूप में सजेंगे भगवान शिव 

Mahakal Temple:digi desk/BHN/ उज्जैन में ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में बुधवार से शिवनवरात्रि उत्सव का उल्लास छाएगा। भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे। महाशिवरात्रि तक नौ दिन भगवान का नौ रूपों में आकर्षक श्रृंगार होगा। शिवनवरात्रि में भोग आरती और संध्या पूजन का समय भी बदल जाएगा।

मंदिर की परंपरा अनुसार कोटितीर्थ कुंड के समीप श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर में शिवपंचमी के पूजन के साथ शिवनवरात्रि की शुरुआत होगी। सुबह 8 बजे पुजारी श्री कोटेश्वर महादेव का अभिषेक-पूजन कर हल्दी चढ़ाएंगे। करीब एक घंटे पूजन के उपरांत सुबह 9.30 बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा होगी।

पुजारी भगवान महाका का पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादश-एकादशिनी रुद्र पाठ किया जाएगा। इसके बाद दोपहर एक बजे भोग आरती होगी। दोपहर 3 बजे भगवान महाकाल की संध्या पूजा के पश्चात श्र्ाृंगार किया जाएगा। पूजन का यह क्रम महाशिवरात्रि तक नौ दिन चलेगा।

ब्राह्मणों को सोला भेंट करेंगे

9 दिन तक एकादश-एकादशिनी रुद्रपाठ करने वाले 11 ब्राह्मण व 2 सहायक पुजारियों को शिवनवरात्रि के पहले दिन मंदिर समिति की ओर से परंपरा अनुसार एक-एक सोला और दक्षिणा भेंट की जाएगी। पुजारी नए सोले में पूजन पाठ करेंगे।

आरती-पूजन का समय बदलेगा

महाकाल मंदिर में प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे भोग आरती तथा शाम 5 बजे भगवान महाकाल की संध्या पूजा की जाती है। शिवनवरात्रि में पूजन का विशेष क्रम होने से भोग अरती सुबह 10.30 के बजाय दोपहर एक बजे के बाद होगी, वहीं संध्या पूजा शाम 5 के बजाय दोपहर 3 बजे होगी। इसके बाद भगवान का श्र्ाृंगार किया जाएगा।

नौ दिन इन रूपों में होगा श्रृंगार

शिवनवरात्रि के पहले दिन बुधवार को भगवान महाकाल का चंदन श्रृंगार होगा। भगवान को सोला व दुपट्टे के रूप में नवीन वस्त्र धारण कराए जाएंगे। मुकुट, मुंडमाल तथा छत्र आदि आभूषण से श्रृंगार होगा। शिवनवरात्रि के दूसरे दिन शेषनाग, तीसरे दिन घटाटोप, चौथे दिन छबीना, पांचवें दिन होलकर, छठे दिन मनमहेश, सातवें दिन उमा-महेश तथा आठवें दिन शिवतांडव रूप में भगवान का श्रृंगार किया जाएगा। महाशिवरात्रि पर भगवान का सप्तधान रूप में श्रृंगार कर उनके शीश पर सवा मन फल व फूल से बना सेहरा सजाया जाएगा।

गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित

बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण करीब एक वर्ष से गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। शिवनवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं को नंदी हाल और उसके पीछे बैरिकेड्स से दर्शन कराए जाएंगे। मंदिर समिति के अधिकारियों के अनुसार महाशिवरात्रि की दर्शन व्यवस्था जल्द तय की जाएगी।

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