- मुख्यमंत्री ने भोपाल के छोटे तालाब की साफ-सफाई के लिए किया श्रमदान
- जल-गंगा संवर्धन अभियान में 5 करोड़ 50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य

भोपाल/ सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि 5 जून से प्रदेश में आरंभ जल गंगा संवर्धन अभियान में जल-स्रोतों के संरक्षण और साफ-सफाई के साथ-साथ इन स्थानों पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जाए। प्रदेश में अभियान अवधि में 5 करोड़ 50 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य है, संपूर्ण प्रदेश में जन भागीदारी से पौधे लगाए जाएंगे। जल-गंगा संवर्धन अभियान, गंगा दशमी के बाद भी जारी रहेगा, सभी स्थानीय निकाय अपने-अपने स्तर पर अभियान संबंधी गतिविधियां संचालित करेंगे। हरियाली अमावस्या के बाद सघन रूप से पौधरोपण की गतिविधियां संचालित की जाएंगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भोपाल में छोटे तालाब की साफ-सफाई के लिए नगर निगम भोपाल द्वारा जन-भागीदारी से चलाए जा रहे अभियान की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश में वॉटर स्पोर्ट्स को प्रोत्साहित किया जाएगा। भोपाल के साथ-साथ इंदौर और उज्जैन में भी वॉटर स्पोर्ट्स की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, अगले ओलंपिक में पदक लाना हमारा लक्ष्य होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए चलाये जा रहे जल-गंगा संवर्धन अभियान के दूसरे दिन भोपाल के छोटे तालाब की स्वच्छता के लिए श्रमदान करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में खेल एवं युवा कल्याण तथा सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर, नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी, विधायक श्री रामेश्वर शर्मा, विधायक श्री भगवान दास सबवानी तथा अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश देश की नदियों का केन्द्र बिन्दु है
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नदी, पर्वत और पृथ्वी में जीवन माना गया है। मध्यप्रदेश देश की नदियों का केन्द्र बिन्दु है। यहाँ से सभी दिशाओं में बहने वाली नदियों की उत्पत्ति होती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई के नदी जोड़ो अभियान की संकल्पना को मूर्तरूप देते हुए केन-बेतवा लिंक परियोजना को स्वीकृति प्रदान कर राज्य सरकार को 45 हजार करोड़ तथा उत्तरप्रदेश सरकार को 45 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराये हैं। इस परियोजना से बुंदेलखंड की धरती को सिंचाई की सुविधा मिलेगी और वहाँ जीवन सरल होगा।