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प्रशांत किशोर का कहना है कि मोदी 3.0 सरकार में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है

नई दिल्ली

राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. राज्यों की फाइनेंशियल ऑटनोमी पर अंकुश लगाया जा सकता है. प्रशांत किशोर ने मोदी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव में स्ट्रक्चरल और ऑपरेशनल बदलावों की भविष्यवाणी की.

प्रशांत किशोर ने कहा, "मुझे लगता है कि मोदी 3.0 सरकार धमाकेदार शुरुआत करेगी. केंद्र के पास शक्ति और संसाधन दोनों का और भी ज्यादा कंसंट्रेशन होगा. राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती करने की भी कोशिश की जा सकती है." 2014 में बीजेपी और पीएम मोदी के लिए चुनावी अभियान का प्रबंधन करने वाले प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई बड़ा गुस्सा नहीं है और बीजेपी लगभग 303 सीटें जीतेगी.

'पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है'

राजनीतिक रणनीतिकार किशोर ने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत हैं – पेट्रोलियम, शराब और भूमि. उन्होंने कहा, ''मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए.'' फिलहाल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और नेचुरल गैस जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. हालांकि, उन पर अभी भी वैट, सेंट्रल सेल्स टैक्स और सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगते हैं.

पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के तहत लाना इंडस्ट्री की लंबे समय से मांग रही है. देश के राज्य इस मांग के खिलाफ रहे हैं, क्योंकि राज्यों को इससे राजस्व का भारी नुकसान होगा.

मसलन, अगर पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इससे राज्यों को टैक्स का नुकसान होगा और अपना हिस्सा हासिल करने के लिए राज्यों को केंद्र पर और ज्यादा निर्भर रहना होगा. मौजूदा समय में जीएसटी के तहत उच्चतम टैक्स स्लैब 28% है. पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन पर 100% से ज्यादा टैक्स लगता है.

राज्यों के लिए कुछ नियम को बनाया जा सकता है सख्त

प्रशांत किशोर ने यह भी भविष्यवाणी की कि केंद्र राज्यों को संसाधनों के डिस्ट्रीब्यूशन में देरी कर सकता है. फिसकल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) के नियमों को सख्त बनाया जा सकता है. 2003 में बनाया गया एफआरबीएम अधिनियम राज्यों के वार्षिक बजट घाटे पर एक सीमा लगाता है. उन्होंने भविष्यवाणी की, "केंद्र संसाधनों के हस्तांतरण में देरी कर सकता है और राज्यों की बजट से इतर उधारी सख्त कर दी जाएगी." उन्होंने

जियोपॉलिटकल मुद्दों पर कैसा होगा सरकार का रुख?

प्रशांत किशोर ने यह भी भविष्यवाणी की कि जिय-पॉलिटिकल मुद्दों से निपटने के दौरान भारत की मुखरता बढ़ेगी. उन्होंने कहा, "वैश्विक स्तर पर, देशों के साथ व्यवहार करते समय भारत की मुखरता बढ़ेगी. आक्रामक भारतीय कूटनीति के राजनयिकों के बीच अहंकार की सीमा तक चर्चा है."

बीजेपी को कैसे मिलेगी 300 सीटें?

प्रशांत किशोर ने  बातचीत में इस बात की भी भविष्यवाणी की है कि आखिर तीसरी बार में बीजेपी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है. उन्होंने बीजेपी के लिए 300 सीटों का अनुमान लगाया है. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव बीजेपी ने 303 सीटें कहां से हासिल कीं? 303 में 250 सीटें उत्तर और पश्चिम क्षेत्र से आईं."

प्रशांत किशोर ने कहा, "पूर्व और दक्षिण में बीजेपी के पास लोकसभा में लगभग 50 सीटें हैं, इसलिए माना जाता है कि पूर्व और दक्षिण में बीजेपी की सीट हिस्सेदारी बढ़ रही है. यहां 15-20 सीटें बढ़ने की उम्मीद है, जबकि उत्तर और पश्चिम में कोई खास नुकसान नहीं हो रहा है."

 

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