Madhya pradesh ujjain nagda news woman gives birth to three children simultaneously: digi desk/BHN/उज्जेन/ जिले के नागदा के ग्राम अजीमाबाद पारदी में रहने वाली एक महिला ने एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया है। एक साथ तीन बच्चों की डिलीवरी होते ही डॉ. स्वास्थकर्मी जहां हैरत में पड़ गए। वहीं, माता-पिता और परिजनों की भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। डॉक्टर के मुताबिक तीनों बच्चे और उनकी मां पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उज्जैन के आर्थो अस्पताल में ऑपरेशन के बाद महिला का यह प्रसव हुआ है।
बताया जाता है कि नागदा के ग्राम अजीमाबाद पारदी में रहने वाली गीता ने एक साथ तीन स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। गीता का इलाज उज्जैन के ऑर्थो हॉस्पिटल की डॉक्टर इंदू सिंह कर रही हैं। उनके ट्रीटमेंट के कारण गीता को 9 महीने तक कोई परेशानी नहीं आई और उसे तीन बच्चों की मां बनने का सुख मिला।
करियर में पहली बार करवाई ऐसी डिलीवरी
तीन बच्चों की सफल डिलीवरी करवाने वाली डॉ. इंदू सिंह ने बताया कि यह डिलीवरी मेरे लिए भी हैरान करने वाली है, क्योंकि 15 वर्षों के करियर में मैने भी तीन बच्चों की सफल डिलीवरी नहीं करवाई है। उन्होंने बताया कि मेरी देखरेख में की गई इस डिलीवरी में 9 महीने तक तो पूरा ध्यान रखा ही गया, लेकिन 9वां महीना लगते ही ऑपरेशन के माध्यम से यह डिलीवरी करवाई गई। यह ऑपरेशन लगभग 40 से 45 मिनट तक चला, जिसमें गीताबाई ने 6 मिनट में 3 बच्चों को जन्म दिया। गीता ने दो लड़कियों और एक लड़के को स्वस्थ रूप से जन्म दिया है।
यह आई कठिनाइयां
पहले बच्चे की मौत पर गीता और उनके पति धन्नालाल डॉ. इंदु सिंह के पास पहुंचे थे। गीता का ट्रीटमेंट किया और उसके बाद जब गीता गर्भवती हुई तो हमें पहली सोनोग्राफी से पता चला कि गीता के गर्भ में तीन भ्रूण हैं। शुरुआत में गीता के परिवार के लोग ही नहीं बल्कि हम भी इस बात के लिए घबराए थे कि आखिर गर्भ में तीनों बच्चों को 9 महीने तक आखिर किस तरीके से स्वस्थ रूप में रखा जाए, लेकिन जब हमने ट्रीटमेंट किया तो सोनोग्राफी में बच्चे बढ़ने और उनके स्वस्थ होने की जानकारी मिलती रही।
तीन साल पहले खोया था अपने बच्चे को
गीता डॉ. इंदु सिंह की पुरानी पेशेन्ट हैं। कुछ वर्षों पूर्व गीता ने नागदा के राजा जन्मेजय हॉस्पिटल में भी डॉ. इंदु सिंह को दिखाया था। तब भी गीता गर्भवती थी। लगभग 3 वर्षों पूर्व हुई डिलीवरी के दौरान गीता ने एक बालक को जन्म दिया था, लेकिन नवजात शिशु के हार्ट में डिफेक्ट होने के कारण 10 से 15 दिनों में ही उसकी मौत हो गई थी।