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M.P: प्रदेश में अब घरेलू खर्च और शादी के लिए भी कर्ज देंगी सहकारी समितियां

coperative societies will now provide loan:digi desk/BHN/ घरेलू खर्च हो या फिर शादी-ब्याह जैसे उत्सव, छोटे किसानों को गांव के साहूकारों के भरोसे रहना पड़ता है। ये ब्याज भी तगड़ा लेते हैं और कोई न कोई चीज भी गिरवी रखवा लेते हैं। इनके चंगुल से बचाने के लिए शिवराज सरकार ने प्रदेश में गैर लाइसेंसी साहूकारों पर सख्ती से रोक लगाने के लिए अधिनियम में संशोधन तो कर दिया था पर किसानों की आर्थिक जरूरत को पूरा करने का मसला तो था ही। अब इसके लिए नई व्यवस्था भी बनाई जा रही है।

इसके तहत चार हजार से ज्यादा सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को घरेलू खर्च, शादी-ब्याह जैसे अन्य जरूरी खर्च के लिए कर्ज दिलवाया जाएगा। हालांकि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं सदस्य किसानों को मिलेगा, जो नियमित रूप से कर्ज की अदायगी करते हैं। इनसे ही इस व्यवस्था की शुरुआत होगी। यह राशि लागत ब्याज दर पर दी जाएगी यानी सिर्फ उतना ही ब्याज किसान से लिया जाएगा, जितना समिति को चुकाना होगा।

खेती की लागत घटाने के लिए प्रदेश सरकार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन कृषि ऋण देती हैं। हर साल दस हजार करोड़ रुपये के आसपास कर्ज दिया जाता है। जो किसान समय पर कर्ज चुका देते हैं, उन्हें फिर से ऋण लेने की पात्रता मिल जाती है। कर्ज में नकदी के साथ खाद-बीज भी दिया जाता है।

इस व्यवस्था से किसानों का खेती का काम तो चल जाता है पर घरेलू खर्च के लिए स्थानीय साहूकारों से ही ऊंची ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए अब सहकारी बैंक माइक्रो फाइनेंस की शुरुआत भी करेंगे। सूत्रों का कहना है कि सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया की अध्यक्षता में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में इस प्रस्ताव पर नीतिगत निर्णय लिया जा चुका है। संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि नए वित्तीय वर्ष से उन सहकारी बैंकों में इसकी शुरुआत की जाएगी, जिनकी वित्तीय स्थिति बेहतर है।

11 फीसद आती है लागत

किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर जो ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है उसकी लागत 11 फीसद आती है। पांच प्रतिशत ब्याज की भरपाई केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान से होती है तो बाकी छह प्रतिशत की पूर्ति राज्य सरकार अपने बजट से करती है। इसके लिए बैंकों को ब्याज अनुदान दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि माइक्रो फाइनेंस में लगभग इसी ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

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