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ईडी की बड़ी कार्रवाई,संदेशखाली कांड के आरोपी शाहजहां और सहयोगियों की 14 संपत्तियां अटैच

नई दिल्ली/कोलकाता
 कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर शेख शाहजहां की कस्टडी लेने पुलिस मुख्यालय पहुंची केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम को बैरंग लौटना पड़ा। हाई कोर्ट ने ने बंगाल सीआईडी को आदेश दिया था कि वो मंगलवार शाम 4:30 बजे तक शाहजहां को सीबीआई के हवाल कर दे। हालांकि, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया। नतीजतन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक शाहजहां को सौंपा नहीं जा सका। उधर, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शाहजहां और उसके सहयोगियों की 14 संपत्तियां अटैच कर ली।

सीबीआई के हाथ लगेगा शाहजहां?

हाईकोर्ट ने भी राज्य पुलिस को ईडी के अधिकारियों पर हमले से संबंधित सभी प्राथमिकी (FIR) सीबीआई को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। यह हमला संदेशखाली में शाहजहां के आवास पर छापेमारी के दौरान हुआ था। हाईकोर्ट ने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपने अधिकार और जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा कि उसके पास न केवल शक्ति और अधिकार क्षेत्र है, बल्कि मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व भी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। अपील याचिका जस्टिस संजीव खन्ना के सामने पेश की गई, जिन्होंने राज्य को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पास प्रासंगिक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया।

शाहजहां और सहयोगियों पर ईडी का चाबुक

इधर, ईडी ने शाहजहां और उसके सहयोगियों की ₹12.7 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली। कुर्क की गई कुल 14 संपत्तियों में अपार्टमेंट, कृषि भूमि, मछली पालन की जमीन और दो बैंक खाते शामिल हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि शाहजहां कोई साधारण नागरिक नहीं है, बल्कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि है जो जिला परिषद में एक महत्वपूर्ण पद पर है। हाईकोर्ट ने पिछले आदेश को भी रद्द कर दिया था जिसमें जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश दिया गया था।

ममता सरकार को परेशान करेगी हाई कोर्ट की टिप्पणी

हाई कोर्ट में प. बंगाल सरकार का पक्ष रख रहे एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने शाहजहां केस की जांच ट्रांसफर करने के आदेश का विरोध किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी मामले को तभी ट्रांसफर किया जा सकता है जब प्रदेश के जांच में उच्च अधिकारियों पर पक्षपात करने का संदेह हो। हाई कोर्ट बेंच ने कहा कि शाहजहां के सिक्यॉरिटी गार्ड दिलदार बॉक्स मुल्ला की शिकायत पर नजत ताने के इंस्पेक्टर ने जिन परिस्थितियों में एफआईर दर्ज की थी, उनके मद्देनजर एक नहीं बल्कि कई कारणों से संदेह पैदा होता है। बेंच ने कहा कि 6 जनवरी को शिकायत वापस ले ली गई और शिकायत की तारीख शब्दों में लिखी गई जिसे देखकर पहली नजर में यही लगता है कि कुछ ना कुछ गड़बड़ तो है।

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