Gayan punj in m.p:digi desk/BHN/ कोविड-19 संक्रमण के संकट के समय जब य पूरी तरह बंद थे और विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित हो रहे थे, ऐसे में ज्ञानपुंज दल द्वारा ऑनलाइन शिक्षण को प्रोत्साहित किया गया। डिजिलेप ग्रुप की सतत मॉनीटरिंग की गई एवं स्थानीय केबल के माध्यम से विषय सामग्री का प्रसारण कराकर शैक्षिक कार्य की निरंतरता बनाए रखी गई, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो सके।
वर्तमान में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यालय खुल गए हैं और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी चल रही है। ऐसे में ज्ञानपुंज दल की महत्ता और बढ़ जाती है, लेकिन लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआइ) भोपाल द्वारा एक आदेश जारी कर ज्ञान पुंज दल के सदस्यों को पदांकित संस्थाओं के लिए कार्यमुक्त किया जा रहा है। ज्ञान पुंज दल में करीब 6000 सदस्य हैं।
शिक्षक संगठनों का मानना है कि डीपीआइ द्वारा अचानक जारी इस फरमान का औचित्य समझ से परे है। ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से ज्ञानपुंज दल योजना की शुरुआत की गई है। प्रत्येक जिले के ज्ञानपुंज दल में शामिल विषय विशेषज्ञ शिक्षक ग्रामीण अंचलों के विद्यालयों में पहुंचकर अध्यापन कार्य करते हैं एवं छात्रों से चर्चा कर उनकी विषय संबंधी कठिनाइयों का मौके पर ही निराकरण करते हैं। ज्ञानपुंज दल के सदस्यों द्वारा सुदूर ग्रामीण अंचलों के विद्यालयों का भ्रमण कर यह देखा गया कि हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी विद्यालयों में शिक्षकों की अत्यंत कमी है। कई हाई स्कूल तो शिक्षक विहीन हैं। कई विद्यालय एक शिक्षक के भरोसे हैं। वहीं कई हाईस्कूल का प्रभारी किसी प्राथमिक शिक्षक को बनाया गया है। शासन के निर्देशानुसार अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था जरूर की गई है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान विषय के अतिथि शिक्षक उपलब्ध ही नहीं हो पाए हैं। ऐसे में ज्ञानपुंज दल के सदस्य इन विद्यालयों में विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में ज्ञानपुंज दल का विशेष महत्व
ज्ञानपुंज दल के सदस्यों ने बताया कि जब वह सुदूर ग्रामीण अंचलों के विद्यालयों में पहुंचते थे तो कई जगए ऐसी भी मिलीं, जहां एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं होता था। ऐसे में ज्ञानपुंज दल सभी विषयों की पढ़ाई कराते हैं। जब अभिभावकों से संपर्क कर चर्चा की गई तो उन्होंने विद्यालय खुले होने की जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर की। ऐसे में जब ज्ञानपुंज दल ने उन्हें सहमति देकर अपने बच्चों को विद्यालय भेजने की बात कही तो उन्होंने अपने बच्चों को विधालय भेजा। मप्र शिक्षक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुभाष सक्सेना का मानना है कि विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा बोर्ड परीक्षा परिणाम सुधारने की रणनीति के तहत ऐसे विद्यालय जिनका परीक्षा परिणाम विगत सत्र में 40 फीसद से कम रहा, उनकी जिम्मेदारी ज्ञानपुंज दल के सदस्यों को सौंपी गई है। इसके चलते सदस्यों द्वारा इन विद्यालयों को गोद लेकर लगातार अध्यापन कार्य कराया जा रहा था, लेकिन अचानक कार्यमुक्त कर दिए जाने से इन विद्यालयों का परीक्षा परिणाम प्रभावित होने की पूरी संभावना है।