MP minister said:digi desk/BHN/प्रदेश की आदिम जाति कल्याण, जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह का कहना है कि आदिवासियों को गैर हिंदू बताने वालों पर राष्ट्रदोह का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कई संगठन और राजनीतिक दल देश को कमजोर करने की साजिश के तहत ऐसी बातें करते हैं। जबकि आदिवासी हमेशा से हिंदू रहे हैं।
मंत्री मीना सिंह ने बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि होने वाली जनगणना में कई हिंदू विरोधी संगठन आदिवासियों को भ्रमित कर रहे हैं कि वे खुद को हिंदू के बजाय आदिवासी के रूप में गैर हिंदू दर्ज कराएं। उन्होंने कहा कि सनातन काल से आदिवासी हिंदू रहे हैं, उनकी संस्कृति, परंपराएं, पूजा-पाठ आदि सब हिंदू धर्म के ही हैं।
संघ का फोकस आदिवासी समाज पर
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आदिवासी क्षेत्रों में धर्म परिवर्तन की कोशिशों और उन्हें हिंदू धर्म से दूर करने की साजिशों के खिलाफ अपना अभियान तेज किया हुआ है, जिसमें कहा गया है कि देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। 1991 की जनगणना मे हिंदुओं की जनसंख्या 84 फीसद थी, जो 2011 में घटकर 69 फीसद बची है। माना जा रहा है कि भील गोंड या अन्य वनवासियों द्वारा खुद को गैर हिंदू बताने के कारण यह कमी आई है।
हिंदू होने के प्रमाण
आदिवासी व्यक्ति अपने नाम के साथ राम-श्याम लिखता है, तिलक लगाता है, साथ ही वे पारंपरिक हिंदू वेशभूषा धोती-कुर्ता पहनता है। मुगलों के खिलाफ लड़ने वाली रानी दुर्गावती से लेकर अंग्रेजों से लोहा लेने वाले शंकर शाह तक भगवती के उपासक रहे हैं। वे दुर्गोत्सव भी धूमधाम से मनाते थे। दोनों आदिवासी समाज से रहे हैं। संघ की रिपोर्ट के मुताबिक क्रिश्चियन मिशनरीज और वामपंथी दल देशभर में आदिवासियों को उकसा रहे हैं कि वे मतगणना में खुद को गैर हिंदू दर्ज कराएं। धर्म की जगह गोंड, कबीरपंथी या अन्य विकल्प भरें।