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Coolie No. 1 Review : कुली नंबर वन नहीं सिरदर्द नंबर वन…पढ़िए रिव्यू

फ़िल्म – कुली नंबर वन

निर्देशक – डेविड धवन

कलाकार- वरुण धवन, सारा अली खान, परेश रावल,जावेद जाफरी, राजपाल यादव और अन्य

प्लेटफॉर्म- अमेज़ॉन प्राइम

रेटिंग -एक

bolywood,Coolie No.1 review:digi desk/BHN/ गोविंदा और करिश्मा कपूर स्टारर कुली नंबर वन को रिलीज हुए ढाई दशक का लंबा समय बीत चुका है. इस दौरान काफी कुछ बदल चुका है और लगता है कि ये बात निर्देशक डेविड धवन भूल गए हैं. कुली नंबर वन (Coolie No 1) के रिमेक के नाम पर उन्होंने अपनी पुरानी वाली फ़िल्म का कट कॉपी पेस्ट बना दिया है. फ़िल्म की कहानी वही है. सिचुएशन भी. डायलॉग भी. गाने भी यहां तक कि एक्टर्स के हावभाव भी लेकिन इस बार वाली कुली नंबर वन मसाला एंटरटेनमेंट के नाम पर कबाड़ा एंटरटेनमेंट बन कर रह गयी है.

फ़िल्म की कहानी में बस इतनी मेहनत की गयी है कि इस बार लड़की के पिता को गोवा का अमीर बिजनेसमैन रोजरियो (परेश रावल)बना दिया है बस . बाकी कहानी वही की वही है। उसका एक ही ख्वाब है कि उसकी बेटियों की शादी बहुत अमीर घर में हो. इसी चक्कर में पंडित जय किशन (जावेद जाफरी) का अपमान कर देता है और फिर पंडित जय किशन धोखे से राजू (वरुण धवन) जो कि एक कुली है उस से सारा ( जिक्र करना तो बनता है. अभिनेत्री का नाम बदलने में मेहनत हुई है पुरानी वाली में मालती नाम था) की शादी करवा देता है.

जल्द ही सभी को मालूम पड़ जाता है राजू कोई करोड़पति नहीं बल्कि मामूली सा कुली है. इस झूठ को बचाने के लिए फिर राजू जुड़वां भाई वाला ड्रामा रचता है. उसके बाद एक और झूठ का सिलसिला शुरू हो जाता है और राजू एक बड़ी मुसीबत में फंस जाता है. फ़िल्म की कहानी जब तक यहां तक पहुंचती है शिद्दत से महसूस होता है कि इस फ़िल्म को देखने की सोचकर हमने कितनी बड़ी मुसीबत ले ली है.

वरुण धवन और उनके निर्देशक पिता डेविड धवन की जोड़ी इससे पहले जुड़वां का सफल रिमेक बना चुके हैं. ये साफ है कि उसी की सफलता को देखते हुए उन्होंने गोविंदा की फ़िल्म कुली नंबर वन का रिमेक बनाने की भी सोची होगी लेकिन वे भूल गए कि 95 वाली कहानी आज के दौर में प्रासंगिक नहीं है और सबसे अहम बात गोविंदा की कॉमिक टाइमिंग को यहां वरुण धवन को मैच करना था. जो आज के दौर के दिग्गज अभिनेताओं से ना हो पाएगा तो वरुण से कैसे हो जाएगा.

फ़िल्म की कहानी में कोरोना का जिक्र है लेकिन फ़िल्म का ट्रीटमेंट 90 वाला ही है. मौजूदा दौर में जब सभी के हाथ में मोबाइल फ़ोन है तो यह बात बेतुकी लगती है कि कैसे इतनी आसानी से किसी को बेवकूफ बनाया जा सकता है. बेतुका फ़िल्म का वह दृश्य भी जब बच्चा रेलवे ट्रैक पर जा बैठता है। सिनेमा की समान सी समझ को भी इस फ़िल्म ने पूरी तरह से नकार दिया है.अगर उसका थोड़ा भी इस्तेमाल किया होता तो फ़िल्म इतनी बोझिल नहीं बनती थी. पटकथा ही नहीं फ़िल्म के संवाद भी सब्र का इम्तिहान लेते हैं.

अभिनय की बात करें तो फ़िल्म में परेश रावल, जॉनी लीवर,जावेद जाफरी,राजपाल यादव जैसे कॉमेडी के दिग्गज हैं लेकिन फ़िल्म की खराब पटकथा और घिसे पिटे कॉमिक संवाद की वजह से उनके अभिनय का जादू बेसर नज़र आया है. वरुण ने अपने किरदार के लिए गोविंदा के साथ साथ दिलीप कुमार,मिथुन चक्रवर्ती,अमिताभ बच्चन की भी नकल की है लेकिन वह निराश ही करते हैं।सारा को अपने अभिनय पर काम करने की ज़रूरत है. फ़िल्म के गीत संगीत की बात करें तो पुराने गानों के साथ साथ तीन नए गाने भी हैं लेकिन वह याद नहीं रह जाते हैं. कुल मिलाकर जब ओटीटी पर इतना सारा अलग अलग कंटेंट हैं तो 90 के दशक की फ़िल्म की इस सस्ती कॉपी पेस्ट रिमेक को ना देखने में ही समझदारी है.

 

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