जयपुर
56 साल के भजनलाल शर्मा को भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान का नया मुख्यमंत्री चुना है। पहली बार के विधायक भजनलाल के मुख्यमंत्री बन जाने से वे सभी राजनीतिक विश्लेषक हैरान हो गए जो वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत, बाबा बालकनाथ, अश्विनी वैष्णव जैसे दिग्गजों को कमान दिए जाने की भविष्यवाणी कर रहे थे। भजनलाल शर्मा को शासन-प्रशासन का अनुभव तो नहीं है, लेकिन संगठन के लिए वह लंबे समय तक काम कर चुके हैं। 3 दशक से अधिक समय से एबीवीपी, आरएसएस और भाजपा के लिए चुपचाप काम करते रहे भजनलाल अयोध्या आंदोलन से लेकर कश्मीर तक में पार्टी के अभियानों का हिस्सा रहे हैं।
भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने हैं लेकिन यह उनका दूसरा विधानसभा चुनाव था। इससे पहले 2003 में वह भरतपुर के नदबई सीट पर चुनाव लड़े थे और तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस समय भजनलाल सामाजिक न्याय मंच के उम्मीदवार थे। इस पार्टी का गठन भाजपा के बागी और पूर्व मंत्री देवी सिंह, सुरेश मिश्रा (हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में गए) और करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कल्वी ने किया था।
भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण चेहरे पर बड़ा दांव खेला है, क्योंकि पिछले 33 सालों से राजस्थान में कभी भी ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है. राजस्थान में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर आखिरी बार 1990 में हरदेव जोशी कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री थे. बांसवाड़ा से हरदेव जोशी विधायक हुआ करते थे. उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के बाद से बीजेपी और कांग्रेस लगातार ओबीसी और क्षत्रिय चेहरों पर दांव लगाती रही है.
इसी वजह से लगातार ब्राह्मण वोटर कभी बीजेपी कभी कांग्रेस में जाते रहे. पिछली बार कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया था, मगर वह दांव इस बार फेल हुआ. राजस्थान में सीधे तौर पर 50 विधानसभा सीट ऐसी हैं जिस पर ब्राह्मण वोटर्स का असर रहता है. कांग्रेस ने जहां 16 ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, वहीं इस बार भारतीय जनता पार्टी ने 20 ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. इसमें से बड़ी संख्या में बीजेपी के ब्राह्मण प्रत्याशी चुनाव जीत करके आए, जबकि कांग्रेस के ब्राह्मण प्रत्याशियों को बड़ी हार मिली है.
राम मंदिर और ब्राह्मण चेहरा
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने राम मंदिर को इस बार मुद्दा बनाया और ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है. जयपुर की सांगानेर विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाले भजनलाल शर्मा भरतपुर के मूल निवासी हैं. बीजेपी ने सीपी जोशी को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अध्यक्ष बनाया था. उसका नतीजा रहा मेवाड़, मारवाड़ और ढूंढाड़ में ब्राह्मणों ने बीजेपी को अधिक सीटों पर चुनाव जिताया है. भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर सियासी गलियारों में इसे बीजेपी का लोकसभा चुनाव में बड़ा दांव माना जा रहा है. राजस्थान में ब्राम्हण वोटर्स की संख्या लगभग 7 फीसदी है. भजनलाल शर्मा के अलावा बीजेपी ने दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के रुप में दो उपमुख्यमंत्री बनाया है.
कैसे राजनीति में आए भजनलाल
भजनलाल के राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र जीवन में ही हो गई थी। भरतपुर के नदबई में जब वह माध्यमिक स्कूल में गए तो वहां उन्होंने एबीवीपी की सदस्यता ली। इसके बाद वह लंबे समय तक छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। भजनलाल की सक्रियता और परिश्रम को देखते हुए उन्हें 1991-92 में राजस्थान के भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रभार दिया। राजस्थान की सरकार पहली बार संभालने जा रहे भजनलाल शर्मा इससे पहले गांव की सरकार चला चुके हैं। वह अपने गांव के दो बार सरपंच भी रहे हैं।
अयोध्या से कश्मीर तक किया काम
करीब 34 साल से राजनीति कर रहे भजनलाल शर्मा अलग-अलग भूमिका में रामजन्मभूमि आंदोलन से लेकर कश्मीर तक में सक्रिय रहे। 1992 में श्री रामजन्मभूमि आंदोलन में भजनलाल शर्मा जेल जा चुके हैं। इसके असावा 1990 में कश्मीरी पंडितों के लिए यात्रा निकालते हुए ऊधमपुर में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
राजस्थान में पार्टी के लिए कर रहे थे काम
राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री लेने वाले भजनलाल शर्मा खेती और खनन आपूर्ति का कारोबार भी करते हैं। वह राजस्थान में भाजपा के महासचिव हैं। पिछले दो दशक में उन्होंने भरतपुर से जयपुर तक पार्टी के लिए अलग-अलग भूमिका में काफी काम किया है। भरतपुर में वह जिला सचिव रहे तो राजस्थान भाजपा मुख्यालय में उपाध्यक्ष और महाचिव के रूप में काम किया।