- दसवीं में पढ़ने वाली लड़की ने 9 सितंबर 2019 को रावजी बाजार थाने में की थी लिखित शिकायत
- अपनी बेटी को आरोपित धमकी देता था कि यह बात किसी को बताई तो काट कर फेंक देगा
- कोर्ट ने नाबालिग पीड़िता को 50 हजार रुपये की राशि प्रतिकर के रूप में दिलवाने की भी अनुशंसा की
Madhya pradesh indore special court seven years rigorous imprisonment to the head constable who did obscene acts with his daughter: digi desk/BHN/इंदौर/ पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को कलंकित करने वाले प्रधान आरक्षक को विशेष न्यायालय ने सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। फैसले में न्यायाधीश ने लिखा है कि दोषी पिता ने अपनी ही नाबालिग पुत्री के साथ उक्त कृत्य कर उसका विश्वास तोड़ा है और पिता-पुत्री के रिश्ते को कलंकित किया है। उसके साथ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जा सकती। उसे अपराध के लिए अधिकतम दंड दिया जाना न्यायोचित है। न्यायालय ने नाबालिग पीड़िता को 50 हजार रुपये की राशि प्रतिकर स्वरूप दिलवाने की अनुशंसा भी की है।
लड़की ने 9 सितंबर 2019 को रावजी बाजार पुलिस थाने पर लिखित आवेदन दिया था। इसमें कहा था कि वह दसवीं कक्षा में पढ़ती है। करीब डेढ़ वर्ष पहले उसके प्रधान आरक्षक पिता ने उसकी मां को मारपीट कर घर से निकाल दिया था। उसकी मां उसे और उसके छोटे भाई को पिता के पास छोड़कर चली गई थी। इसके बाद से ही उसके पिता ने उसे और उसके भाई को मां से मिलने नहीं दिया।
बेटे को कमरे से बाहर भेज बेटी से करता था हरकत
पत्नी के जाने के बाद से दोषी पिता ने नाबालिग के साथ कई बार बुरी नीयत से छेड़छाड़ की। वे उसके छोटे भाई को कमरे से बाहर निकाल देते और उसके साथ अश्लील हरकत करते। उसके पिता ने कई बार उसके साथ थप्पड़ और मुक्कों से मारपीट भी की और कहा कि यह बात किसी को बताई तो वह उसे मारकर फेंक देंगे। वह अपने पिता की हरकतों से परेशान थी। 9 सितंबर को उसकी मां उससे स्कूल में मिलने आई तो उसने मां को यह बात बताई। इसके बाद मां के साथ रावजी बाजार पुलिस थाने पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज कराई।
कोर्ट ने विभिन्न धाराओं में सुनाई सजा
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपित प्रधान आरक्षक के खिलाफ धारा 354, 354 (क), 323, 506 व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 7/8 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर चालान प्रस्तुत किया। जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि विशेष न्यायालय ने प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए दोषी पिता को सात वर्ष के कठोर कारावास और तीन हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर ने पैरवी की।