E-oction: digi desk/BHN/ रेत की तर्ज पर अब प्रदेश में सुलेमानी पत्थर (अगेट), चूना कंकड़, अभ्रक, ऑकर, चाक, चीनी मिट्टी, बालू (अन्य) शेल, स्लेट और स्टोटाइट सहित 31 गौण खनिज की भी ई-नीलामी होगी। मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को गौण खनिज नियमों को मंजूरी दे दी है। सरकार पिछले पांच साल से नियम बना रही थी। नए नियमों के तहत सरकार पत्थर से रेत बनाने के लिए पट्टा भी देगी।
इसके साथ ही सरकार ने खनिज के दाम भी तय कर दिए हैं। अब मंत्री के अनुमोदन से संचालक उत्खनन पट्टा दे सकेंगे। वहीं चार हेक्टेयर तक के खनिज पट्टे कलेक्टर जिला स्तर पर मंजूर कर सकेंगे। दूसरे राज्यों से आने वाले गौण खनिज पर 25 रुपये घनमीटर की दर से शुल्क लिया जाएगा। अभी तक पहले आओ-पहले पाओ की तर्ज पर आवेदन करने वालों को खदान आवंटित करने का प्रविधान था।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में 31 मुख्य खनिजों को गौण खनिज घोषित किया है। राज्य सरकार फरवरी 2018 में इनको गौण खनिजों की सूची में शामिल कर चुकी है, पर नियम न होने के कारण खदानों की नीलामी नहीं हो रही थी। इससे राज्य सरकार को हर साल करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। कोरोना काल में सरकार को खाली खजाना भरने के लिए गौण खनिज की याद आई और अब नियम बनाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि इन खनिज के 100 से अधिक आवेदन दो साल से खनिज विभाग में पड़े हैं।
नियमों में क्या …
- – निजी भूमि पर रायल्टी के अलावा 15 फीसद अतिरिक्त राशि भुगतान के साथ 30 साल के लिए उत्खनन पट्टा दिया जाएगा।
- – 250 हेक्टेयर सरकारी या निजी भूमि पर ई-निविदा के माध्यम से 30 साल के लिए उत्खनन पट्टा दिया जाएगा।
- – उच्चतम बोलीदार को रायल्टी के अलावा ई-निविदा दर पर वन टाइम बिट के आधार पर अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा।
- – 25 करोड़ रुपये या उससे अधिक निवेश करते हुए उद्योग लगाने पर 10-10 साल के लिए दो बार उत्खनन पट्टे का नवीनीकरण किया जाएगा।
- – पत्थर से रेत बनाने पर रेत बजरी की रायल्टी दर 125 रुपये प्रति घनमीटर रहेगी।
- – फर्शी पत्थर की वार्षिक डेडरेंट की राशि दो लाख रुपये प्रति हेक्टेयर से घटाकर 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर तय कर दी है।
- – पट्टेधारी को स्वीकृत खदानों में 75 फीसद रोजगार मध्य प्रदेश के मूल निवासियों को अनिवार्य रूप से देना होगा।
- – सरकारी तालाब, बांध और गाद से निकलने वाली रेत का निपटारा तय नियमों के तहत किया जाएगा।
- – सरकार ने डेडरेंट की दरें संशोधित कर दी हैं। विभिन्न् आवेदन शुल्क, न्यायालयीन स्टाम्प शुल्क, सुरक्षा राशि, रेखांक शुल्क में बढ़ोत्तरी कर दी है।
सरकारी भूमि नहीं मिली, तो निजी भूमि खरीदकर विस्थापितों को देगी सरकार
कैबिनेट ने भू-अर्जन पुनर्व्यवस्थापन योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत किसी परिवार के पुनर्वास के लिए ग्रामों में सरकारी भूमि मिल जाती है, तो जिस एजेंसी के लिए भू-अर्जन किया जा रहा है, उससे सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य की 1.6 गुना राशि लेकर विकास कार्य कराए जाएंगे। यदि सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित एजेंसी से भुगतान कराकर ग्रामों की निजी भूमि पर पुनर्वास कराया जाएगा।