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Health: उम्र बढ़ाने के लिए कोलंबिया यूनिवर्सिटी का शोध में चौंकाने वाला खुलासा, टौरीन की मदद से जिएंगे लंबा

  1. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में उम्र बढ़ाने पर रिसर्च
  2. डॉ विजय यादव के नेतृत्व में हुई रिसर्च
  3. बंदरों के बाद इंसानों पर किया गया टौरीन का परीक्षण

World general shocking revelation in columbia universitys research to increase lifespan you will live longer with the help of taurine: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ मनुष्य की उम्र को कैसे बढ़ाया जाए? इस विषय पर वैज्ञानिक कई वर्षों से शोध कर रहे हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मनुष्य के शरीर में समय के साथ होने वाले बदलावों पर स्टडी की है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की स्टडी से मुनुष्य के शरीर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। इस स्टडी से टौरीन का पता चला है, जिससे शरीर को हेल्दी और लाइफ पीरियड को बढ़ाने में मदद मिलती है।

डॉ विजय यादव कोलंबिया यूनिवर्सिटी में रिसर्चर और असिस्टेंट प्रोफेसर ने इस स्टडी का नेतृत्व किया। जागरण न्यूज मीडिया के प्रधान संपादक राजेश उपाध्याय ने अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर परिसर में टौरीन पर डॉ विजय यादव से खास बातचीत की। डॉ विजय यादव भारत में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं।

डॉ विजय यादव ने शोध के बारे में बताया कि इसकी शुरुआत 2012 में हुई थी। शोध में यह पता लगाया कि आखिर उम्र के बढ़ने पर टौरीन का क्या प्रभाव होता है। टौरीन के प्रभाव का पता लगाने के लिए मध्यम आयु वर्ग के चूहों और अन्य पशुओं की मदद ली गई। उन्हें टौरीन दिया गया। इसका नतीजा चौकाने वाला था। जांच से पता चला कि टौरीन देने वाले जानवर ज्यादा जी रहे हैं। उनकी हड्डिया मजबूत और याददाश्त तेज हुई। उनकी मांशपेशियों में ताकत आ गई। उनमें मधुमेह का खतरा भी कम हुआ।

बंदरों पर भी की जांच

जानवरों पर परीक्षण करने के बाद बंदरों पर जांच की। बंदरों को इंसान के करीब माना जाता है, इसलिए उन टौरीन के प्रभाव की जांच जरूरी थी। टौरीन के प्रभाव से बंदरों का वजन, मोटापा और सूजन में कमी आई। बंदरों के ब्लड में ऑक्सीडेटिव तनाव बहुत कम हो गया।

इंसानों में परीक्षण के परिणाम

डॉ. विजय ने बताया बंदरों के बाद इंसानों पर जांच करने पर ध्यान केंद्रित किया। 60 साल की आयु वाले 1200 लोगों में टौरीन और मेटाबोलाइट स्तर को मापा गया। जांच से पता लगा कि टौरीन स्तर वाले लोगों में मोटापा, बीएमआई, टाइप-2 मधुमेह, सूजन और ब्लड प्रेशर भी कम मिला। कम टौरीन स्तर वाले लोगों की तुलना में ज्यादा टौरीन वाले लोग स्वस्थ्य थे।

जानें क्या है टौरीन

टौरीन एक रसायन है, जिससे शरीर में प्रोटीन बनाने में मदद मिलती है। टौरीन को एमिनो सल्फोनिक एसिड के रूप में जाना जाता है। टौरीन हृदय, रेटिना, ब्रेन और शरीर के प्लेटलेट्स में मिलता है। मछली और मांस इसका सबसे अच्छा स्रोत है।

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