- महालय श्राद्ध का आरंभ 29 सितंबर को शुक्रवार के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, वृद्धि योग, बव करण, मीन राशि के चंद्रमा की साक्षी में आरंभ होगा
- 29 तारीख की मध्य रात्रि में अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बनेगा जो अगले दिन सुबह तक रहेगा। यह भी अपने आप में विशिष्ट मान्य है
- अमृत सिद्धि योग के संयोग में पितरों के नैमित्त किया गया तर्पण व पिंडदान उन्हें अमृत प्रदान करता है
Madhya pradesh ujjain mahalaya shraddha 2023 mahalaya shraddha will start on 29th september in mangaladitya yoga shraddha paksha will last for 16 days: digi desk/BHN/उज्जैन/ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर 29 सितंबर से मंगलादित्य योग के महासंयोग में महालय श्राद्ध का आरंभ होगा। इस बार श्राद्ध पक्ष पूरे सोलह दिन का रहेगा। पंचक के नक्षत्र में श्राद्धपक्ष का प्रारंभ होने से यह श्राद्धकर्ता को पांच गुना शुभफल प्रदान करेगा। ग्रहों के वक्री व मार्गी की गणना के क्रम से देखें तो श्राद्धपक्ष में शुभफल प्रदान करने वाली ऐसी स्थित 400 साल बाद बन रही है।
बन रही है विशिष्ट स्थिति
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया इस बार महालय श्राद्ध का आरंभ 29 सितंबर को शुक्रवार के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, वृद्धि योग, बव करण, मीन राशि के चंद्रमा की साक्षी में आरंभ होगा। किसी भी पर्व काल की शुरुआत यदि विशिष्ट ग्रह नक्षत्र की साक्षी में हो तो वह विशेष प्रकार से फल प्रदान करने में सक्षम हो जाता है। इस बार महालय श्राद्ध का आरंभ सूर्य मंगल के कन्या राशि पर गोचरस्थ होने की साक्षी का रहेगा यह एक विशिष्ट स्थिति है। क्योंकि कन्या राशि के सूर्य को धर्मशास्त्र व पुराण में विशिष्ट मान्यता दी गई है। यदि इस प्रकार का योग संयोग बनता है, वह भी बुध की राशि कन्या में तो उसका फल विशेष प्राप्त होता है।
रात्रि काल में अमृत सिद्धि योग भी
इस बार 29 तारीख की मध्य रात्रि में अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बनेगा जो अगले दिन सुबह तक रहेगा। यह भी अपने आप में विशिष्ट मान्य है। क्योंकि अमृत सिद्धि योग के संयोग में पितरों के नैमित्त किया गया तर्पण व पिंडदान उन्हें अमृत प्रदान करता है। अर्थात विशिष्ट शक्तियों एवं पदों से सिंचित करता है और विष्णु लोक की प्राप्ति करता है। इस दृष्टि से भी श्राद्ध पक्ष विशेष पूजनीय है।
श्राद्ध पक्ष पूरे 16 दिन के रहेंगे
महालय श्राद्ध पूरा 16 दिन के रहेंगे हालांकि कुछ पंचांगों में चतुर्थी तिथि का क्षय बताया है किंतु तृतीया और चतुर्थी का अलग-अलग गणित धर्मशास्त्र में बताया गया है इस दृष्टि से नियत समय पर श्राद्ध अवश्य करें।
श्राद्ध पक्ष 5 गुना शुभ फल प्रदान करेंगे
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में महालय श्राद्ध का आरंभ हो तो वह विशेष शुभ है। क्योंकि तीनों उत्तरा अर्थात उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तरा भाद्रपद यह तीनों ही उत्तरोत्तर प्रबल व श्रेष्ठ माने जाते हैं इनकी साक्षी में पर्व विशेष का महत्व बढ़ जाता है। धर्मशास्त्र में इसका महत्व बताया गया है
सूर्य चंद्र का सम सप्तक दृष्टि संबंध कुंजर छाया का निर्माण करेगा
भारतीय ज्योतिष शास्त्र, निर्णय सिंधु व अन्य धर्म ग्रंथो के साथ-साथ गणना के वैज्ञानिक पक्ष को देखें तो इस बार श्राद्ध पक्ष में का पूर्णिमा और अमावस्या पर कुंजर छाया योग बन रहा है। यह भी अपने आप में अद्भुत है । ग्रह गोचर तथा राशि विशेष पर केंद्र योग की गणना से इस प्रकार का योग बना हो, इस दृष्टि से यह एक दुर्लभ स्थिति है इसका उपयोग कर इन तिथियों पर पितरों का श्राद्ध अवश्यक करना चाहिए।
किस दिन कौन सा श्राद्ध
- 29 सितंबर शुक्रवार पूर्णिमा का श्राद्ध
- 30 सितंबर शनिवार प्रतिपदा का श्राद्ध
- 1 अक्टूबर रविवार द्वितीय का श्राद्ध
- 2 अक्टूबर को तृतीया का श्राद्ध कुतुप काल (दिन में 12:30 बजे बाद) के दूसरे भाग में चतुर्थी का श्राद्ध किया जा सकता है
- 3 अक्टूबर मंगलवार पंचमी का श्राद्ध
- 4 अक्टूबर बुधवार षष्ठी का श्राद्ध
- 5 अक्टूबर गुरुवार सप्तमी का साथ श्राद्ध
- 6 अक्टूबर शुक्रवार अष्टमी का श्राद्ध
- 7 अक्टूबर शनिवार नवमी एवं सौभाग्यवतियों का श्राद्ध
- 8 अक्टूबर रविवार दशमी का श्राद्ध
- 9 अक्टूबर सोमवार एकादशी का श्राद्ध
- 10 अक्टूबर मंगलवार एकोद्दिष्ट श्राद्ध, मघा श्राद्ध
- 11 अक्टूबर बुधवार द्वादशी का श्राद्ध संन्यासियों का श्राद्ध व प्रदोष
- 12 अक्टूबर गुरुवार त्रयोदशी का श्राद्ध
- 13 अक्टूबर शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध(शस्त्र, अग्नि या विष से दग्ध हुए का श्राद्ध)
- 14 अक्टूबर शनिवार सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध (शनिश्चरी अमावस्या भी इसी दिन)